होम! हैप्पी होम / अंजू खरबंदा
एक दिन नेहा बच्चों को पढ़ा रही थी। एक कविता में दादा दादी नाना नानी की बात आई। रैनेसां ने नेहा की ओर प्रश्न सूचक निगाहों से देखते हुए कहा-"मम्मा घर में दादा दादी की फोटो तो है पर नाना नानी की क्यों नहीं!"
उसकी बात सुनकर रोहन जोर-जोर से हँसने लगा और बोला-"बुद्धु तुझे इतना भी नहीं पता! ये घर तो पापा का है न ... तो पापा के मम्मी पापा की फोटो ही तो लगेगी न! क्यूं पापा!"
पास ही बैठे पति देव ने नेहा की ओर देखते हुए कहा-"जितना ये घर मेरा है उतना ही तुम्हारी मम्मी का।"
इतना कहकर वे उठकर जाने लगे। नेहा ने पूछा-"कहाँ चल दिए एकदम से।"
"बच्चों का सवाल वाजिब है तो जवाब भी तो वाजिब ही होना चाहिए न! तुम मम्मी पापा की अच्छी-सी फोटो निकाल दो, मैं आज ही फ्रेम करवा लाता हूँ! अब दीवार पर सिर्फ़ दादा दादी नहीं नाना नानी की फोटो भी होगी।"
सुनते ही रैनेसां रोहन को चिढ़ाकर बोली-"भाई ये घर पापा का नहीं मम्मी पापा दोनों का है, समझा न!"