‘अलीबाबा और 40 चोर’ समसामयिक है / जयप्रकाश चौकसे

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‘अलीबाबा और 40 चोर’ समसामयिक है
प्रकाशन तिथि : 20 नवम्बर 2021


पहाड़ों की तरह एक प्राचीन कथा है कि एक सनकी बादशाह को अजीब सी सनक सवार थी कि वह शादी की अगली सुबह अपनी नई नवेली दुल्हन का कत्ल कर देता था। उसकी एक चतुर नई बीवी ने शादी की रात उसे एक कथा सुनानी शुरू की और सुबह वह कहानी को ऐसे नाटकीय मोड़ पर ले आई कि बादशाह जानना चाहता था कि फिर क्या हुआ? जिज्ञासा के कारण उसने अपनी पत्नी का कत्ल नहीं किया। यह सिलसिला 10001 रातों तक चलता रहा। रोचक कथाओं के संग्रह का नाम है ‘अरेबियन नाइट्स’। कथाएं सुनते-सुनते बादशाह अपनी सनक से मुक्त हो गया और दुल्हनों को कत्ल करने का उसका भयावह सिलसिला समाप्त हो गया। इस तरह कथाएं, रोगी को रोग मुक्त कर गईं। गोया की साहित्य इलाज भी है यह सिद्ध हो गया। संगीत से भी इलाज होता है। साहित्य और संगीत थेरेपी और दवा का काम करने लगे। इसी ‘अरेबियन नाइट्स’ का एक भाग ‘अलीबाबा और 40 चोर’ भी बन गया। कुछ चोर अपना चुराया हुआ माल एक गुफा में रखते थे। जिसके द्वार को खोलने के लिए वे ‘खुल जा सिम सिम’ कहते थे। एक लालची शख्स ने चोरों का पीछा कर चोरों की गैर हाजरी में गुफा के सामने खुल जा सिम-सिम कहकर वह गुफा में प्रविष्ट हो गया और वहां बहुमूल्य हीरे-जवाहरात की चमक से उसकी आंखें चौंधिया गईं। इस कारण गुफा से बाहर आने के लिए वह ‘खुल जा सिम सिम’ कहना भूल गया। अत: बिना श्रम का धन सब कुछ भुला देता है। यह कहना अनावश्यक है कि चोरों ने उसके साथ क्या किया होगा!

बड़ा आश्चर्य होता है कि ‘प्यासा’ और ‘कागज के फूल’ बनाने वाले महान फिल्मकार गुरुदत्त ‘अलीबाबा और 40 चोर’ नामक फिल्म बनाना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने राज कपूर को अलीबाबा की भूमिका अभिनीत करने के लिए अनुबंधित किया था। अफसोस, की इस फिल्म को बनाने से पहले गुरुदत्त इस दुनिया में नहीं रहे। संजय खान ने कुछ अलग प्रकार की फिल्म में राज कपूर को अब्दुल्ला की भूमिका दी थी। यह फिल्म सफल नहीं हुई। ‘अब्दुल्ला’ दो कबीलों के बीच शांति स्थापित करने के प्रयास में मारा जाता है। इस तरह के सारे प्रयास इसी तरह समाप्त हो जाते हैं।

आज तो जंग, बाजार पर कब्जा जमाने के लिए लड़ी जा रही है। दुनिया जगमग बाजार में बदल गई है। क्या कभी फिल्मकार राजकुमार हिरानी ‘अली बाबा 40 चोर’ बनाएंगे? इसमें कुछ सामाजिक महत्व की बात की जा सकती है। क्या सुई की आंख से अपनी कथा के ऊंट को वे निकाल पाएंगे? अक्षय कुमार ‘ओ माय गॉड’ नामक फिल्म की अगली कड़ी बना रहे हैं। ‘ओ माय गॉड-1’ बनाने के बाद अब बहुत कुछ बदल गया है। सबसे अधिक अक्षय की विचार शैली बदल गई है। अब वे प्रचार संसार के वासी हो चुके हैं।

बहरहाल, आज भी पंचतंत्र प्रेरित फिल्म बनाई जा सकती है। ‘बेताल’ की कथा भी हो सकती है। पीठ पर सवार बेताल अब उतरने को तैयार नहीं है। ज्ञातव्य है कि ‘अरेबियन नाइट्स’ के अंग्रेजी में अनुवाद के बाद इसकी लोकप्रियता आकाश छूने लगी है। गौरतलब है कि चीन के एक ऐप का नाम ‘अलीबाबा’ है। गोया की अलीबाबा सारे लौह कपाट तोड़कर वहां पहुंच गया, जहां एक मजबूत दीवार ऐसी बनाई गई है कि जहां पश्चिम से आई हवा को भी प्रवेश की इजाजत नहीं है। पश्चिम से आई बयार को ‘नसीम’ भी कहा जाता है। ‘नसीम’ नामक फिल्म में कैफी आजमी ने एक चरित्र भूमिका अभिनीत की थी।

सारांश यह है कि आधुनिक बीमारियों का इलाज प्राचीन साहित्य में ही मिलेगा। शादियों का मौसम शुरू हो चुका है। शादी पर पुराने गीत गाए जाते हैं। इन गीतों में बड़ी समझदारी की बातें अभिव्यक्त हुई हैं। अनुष्का शर्मा और रणवीर सिंह अभिनीत ‘बैंड बाजा और बारात’ रोचक फिल्म रही है। उस समय रणवीर पर संजय लीला भंसाली का प्रभाव नहीं था। लेकिन अब तो सरकार बदले-बदले नजर आते हैं।