‘चांद-तारों के तले रात ये गाती चले...’ / जयप्रकाश चौकसे

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‘चांद-तारों के तले रात ये गाती चले...’
प्रकाशन तिथि : 21 अप्रैल 2020


सरकार द्वारा लगाया गया लॉकडाउन अपने अंतिम चरण में है। पंद्रह दिन बाद लॉकडाउन की मियाद बढ़ाई जा सकती है या कुछ रियायत और बंदिश के साथ इसे नया स्वरूप दिया जा सकता है। खबर है कि शिक्षा संस्थान और सिनेमाघर सबसे बाद में कार्य कर सकेंगे, क्योंकि दोनों ही स्थानों पर भीड़ होती है। सिनेमा भी पाठशाला है और पाठशाला में सिनेमा का उपयोग करके शिक्षा भी दी जा सकती है। ज्ञातव्य है कि लॉकडाउन से पहले भारत का ग्रोथ रेट मात्र चार था और नन्हे बांग्लादेश का आठ। लॉकडाउन के दरमियान ग्रोथ रेट शून्य के निकट पहुंच गया है। अत: उद्योगों पर से सशर्त बंदिशें हटाना दिवालियापन की कगार पर खड़ी अर्थव्यवस्था को बचाने का प्रयास होगा।

चाणक्य को राजनीति का गुरु माना जाता है। उनकी किताब का नाम ‘अर्थशास्त्र’ है। तमाम सरकारें अर्थशास्त्र से शासित रही हैं और मानव मूल्य हमेशा हाशिए पर रहे हैं। ज्ञातव्य है कि आजकल दूरदर्शन पर चंद्रप्रकाश द्विवेदी द्वारा बनाया और अभिनीत सीरियल ‘चाणक्य’ दिखाया जा रहा है। सीरियल में शब्दों की बमबारी है। डोनाल्ड ट्रम्प व्यापारी हैं और लाभ-हानि से बड़ा उनके लिए कुछ भी नहीं है। अत: उन्होंने लॉकडाउन नहीं किया। वायरस से अमेरिका में सबसे अधिक लोगों की मृत्यु हुई। जानकारों का कहना है कि डोनाल्ड ट्रम्प के लॉकडाउन नहीं करने के कारण वहां के औद्योगिक घराने उन्हें अगला चुनाव जिताने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। प्रचार तंत्र टॉप गियर में काम करेगा।

उड़ती हुई खबर यह है कि फिल्म शूटिंग के समय साठ पार तकनीशियनों और कलाकारों को काम करने की इजाजत नहीं मिलेगी। क्या अमिताभ बच्चन और अनिल कपूर सक्रिय नहीं हो सकेंगे? ऐसा होने पर अयान मुखर्जी की अमिताभ बच्चन, आलिया भट्‌ट और रणबीर कपूर अभिनीत ‘ब्रह्मास्त्र’ का प्रदर्शन इस वर्ष संभव नहीं हो पाएगा। क्या किसी व्यक्ति को उम्रदराज होने पर कार्य करने का अधिकार नहीं है? बड़ ‌‌‌‌का वृक्ष (‌वटवृक्ष) पुराना होता है तो उसकी डालियां झुककर जमीन में चली जाती हैं और उसकी जड़ों को मजबूत करती हैं। हुकूमत और अवाम दोनों ही अनिर्णय को दिल ही दिल पसंद करते हैं। शायद इसलिए हैमलेट और देवदास अजर अमर पात्र हैं।

सिनेमा और स्कूल के साथ शॉपिंग मॉल पर भी बंदिश जारी रखी जा सकती है। जब पेरिस में पहला शॉपिंग सेंटर खोला गया था, तब दार्शनिक बेन्जामिन, फ्रेंकलिन ने कहा था कि ये मॉल, पूंजीवादी व्यवस्थाओं की विजय पताकाएं नजर आ रही हैं और ये ही कालांतर में पूंजीवाद के लिए खंजर साबित हो सकती हैं। जगमग करते हुए ये शॉपिंग मॉल अपने उदर में भयावह अंधकार छिपाए बैठे हैं। लॉकडाउन के बहुत पहले ही शॉपिंग मॉल की हालत इतनी खस्ता थी कि मालिकों ने दुकानदारों से किराया लेना बंद कर दिया था और उनसे प्रार्थना की थी कि वे दुकान खुली रखें। अनायास ही शैलेंद्र रचित फिल्म ‘चोरी-चोरी’ का गीत याद आ रहा है- ‘जो दिन के उजाले में न मिला दिल खोजे ऐसे सपने को, इस रात की जगमग में डूबी मैं ढूंढ रही हूं अपने को’।

बहुमंजिला इमारतें महानगरों में बनाई गईं, परंतु अब छोटे शहरों में भी बहुमंजिला इमारतें बन चुकी हैं। स्वतंत्र मकान में रहने वालों और बहुमंजिला इमारतों के रहवासियों के सामाजिक व्यवहार में भी अंतर होता है। कुछ लोग खामोश रहना पसंद करते हैं तो कुछ वाचाल होते हैं। स्वतंत्र मकान और बहुमंजिला इमारतों में रहने वालों के शादी-ब्याह तथा उत्सव मनाने के तरीके अलग-अलग होते हैं। यह अंतर हारी बीमारी और शोक के अवसर पर भी देखा जा सकता है। बहुमंजिला इमारत परिसर के मुख्य द्वार पर एक नोटिस बोर्ड से ही किसी की मृत्यु होने का समाचार प्राप्त होता है। बहुमंजिला रहवासियों के सेवकों में मित्रता रहती है। अमिताभ बच्चन की पुत्री ने बहुमंजिलों में रहने वालों के सामाजिक व्यवहार पर एक किताब लिखी है। अमिताभ बच्चन एक ही क्षेत्र में चार बंगलों के मालिक हैं। बहुमंजिला इमारतों की छत पर सिनेमाघर बनाए जाने से लोगों का समय बचेगा और सड़कों पर आवागमन घटेगा, जिससे वायुु प्रदूषण में कमी आएगी। लॉकडाउन जैसे संकटकाल में बहुमंजिला इमारत में रहवासी एक-दूसरे की सहायता आसानी से कर सकते हैं। छत पर ओपन एयर सिनेमाघर भी कम लागत में बन सकता है। इस तरह के सिनेमाघर में फिल्म देखना एक अलग अनुभव हो सकता है। चांद-तारों के तले रात गाती हुई गुजर सकती है। वर्षाकाल में यह सिनेमा बंद रहेगा, परंतु मौसम परिवर्तन के कारण अब कुछ ही दिन वर्षा होती है। छत पर फिल्म देखने के लिए तैयार होने का समय भी बचेगा। बरमूड़ा और बनियान पहनकर भी फिल्म देखी जा सकती है, जूते पहनने के कष्ट से भी बचा जा सकता है। सिनेमा लाइसेंसिंग के बाबा आदम के जमाने के नियमों में परिवर्तन करना होगा।