‘दस्तक’ और आर्थिक तंगी की दास्तां / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 11 फरवरी 2022
गौरतलब है कि आदित्य चोपड़ा के यशराज स्टूडियो में निरंतर काम जारी है। ‘एक था टाइगर भाग तीन’ की शूटिंग विदेश में की जा रही है। भाग एक में तो नायक और नायिका भारत-पाकिस्तान के राजनीतिक प्रतिनिधि मंडल के सदस्य के रूप में जाते हैं परंतु काम उनका जासूसी का है। घटनाक्रम ऐसा चलता है कि दोनों के बीच प्रेम हो जाता है और वे किसी और देश भाग जाते हैं। यह अनुमान लगाना कठिन है कि भाग तीन में वे स्वदेश लौटकर कुछ करें?
भाग दो में उनका एक पुत्र का पात्र प्रस्तुत किया गया है। भाग तीन में पुत्र युवा हो चुका है और घटनाक्रम में शामिल है। शाहरुख खान भी ‘जीरो’ की असफलता के बाद शीघ्र ही कुछ बड़ा करने जा रहे हैं। वे ‘पठान’ पूरी करने के बाद वे राजकुमार हिरानी की फिल्म की शूटिंग करेंगे। बोनी कपूर अपनी पुत्रियों जान्हवी और खुशी को एक साथ एक ही फिल्म में प्रस्तुत करने का विचार कर रहे हैं। शोभा डे का उपन्यास ‘सिस्टर्स’ भी दो बहनों की कहानी है। मूल रचना में से कुछ साहसी दृश्यों को संकीर्णतावादी सहन नहीं कर पाएंगे। वे बदले जा सकते हैं। महामारी के कारण सभी देशों के फिल्म उद्योग में भी अन्य उद्योगों की तरह परिवर्तन आए हैं। हॉलीवुड के निर्माता न्यूजीलैंड जा रहे हैं। गौरतलब है कि एक सोलोमन आइलैंड है, जहां लोग जर्जर और कमजोर दरख़्त को काटते नहीं है बल्कि उसके इर्द-गिर्द खड़े होकर उस जर्जर दरख्त को अपशब्द कहते हैं। कुछ ही दिनों में जर्जर वृक्ष गिर जाता है। इस बात का उल्लेख आमिर खान की फिल्म ‘तारे जमीं पर’ में किया गया है। संभवत: मनुष्य पर ही अपशब्दों का प्रभाव सबसे कम पड़ता है। कुछ लोग तो गालियां भी ऐसे देते हैं मानो वे गजल पढ़ रहे हों।
संजीव कुमार अभिनीत एक फिल्म में परिवार के लोग पागलपन के शिकार अपने एक भाई का विवाह एक सेक्स वर्कर से कर देते हैं। उस महिला से करारनामा कर लिया जाता है। कुछ दिन साथ रहने पर उस सेक्स वर्कर के प्रेम में संजीव अभिनीत पात्र पूरी तरह ठीक हो जाता है। अब उस महिला को दूर भगाने पर अपने भाई को खोना पड़ सकता है। संजीव अभिनीत पात्र सत्य जानकर उसी के साथ विवाह करता है क्योंकि सच बताने का नैतिक साहस उस औरत के पास है।
राजिंदर सिंह बेदी की लिखी और निर्देशित फिल्म ‘दस्तक’ में रेहाना सुल्तान और संजीव अभिनीत पात्र युवा और विवाहित हैं परंतु आर्थिक दशा कमजोर है। इसलिए मजबूरी में बदनाम गली में सस्ता मकान किराए पर लेते हैं। बदनाम गली में प्राय: आने वाले लोग नवविवाहित संजीव अभिनीत पात्र के मकान पर दस्तक देते हैं। उन लोगों को समझाया जाता है कि धन की कमी के कारण वे बदनाम गली में रहते हैं। आर्थिक कमजोरी से परेशान नायिका सोचती है कि पति की गैर हाजिरी में कुछ गजल गाकर वह धन कमा सकती है। नेक इरादे से किया गया काम नायक संजीव कुमार जान लेता है लेकिन वह पत्नी को तलाक देने का फैसला लेता है। उसी मोहल्ले का रहने वाला व्यक्ति सारी गलतफहमी दूर करता और उन्हें किसी अन्य बस्ती में बसने की सलाह देता है। संजीव इस आशय का संवाद बोलता है, ‘जिस बस्ती में गलतफहमी दूर करने वाले रहते हैं उसे छोड़कर नहीं जाएगा।’ उच्च आर्थिक वर्ग, मध्यमवर्ग व साधनहीन वर्ग के जीवन मूल्यों और नैतिकता के मानदंड अलग-अलग होते हैं। उच्च आर्थिक वर्ग के जीवन में सब कुछ एक परदे की आड़ में होता है जैसा कि हम कोंकणा सेन शर्मा अभिनीत फिल्म ‘पेज 3’ में देख चुके हैं।
साधनहीन वर्ग के सामने झूठे द्वंद्व नहीं हैं। वे दिखावे के लिए कुछ नहीं करते। इस पूरे प्रकरण में आर्थिक खाई का चौड़ा होना ही अभिव्यक्त होता है।