‘रामायण’ प्रेरित फिल्म में रणबीर कपूर? / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 24 जनवरी 2022
गौरतलब है कि भव्य पैमाने पर पौराणिक विषय पर ‘रामायण’ नामक फिल्म बनाने की योजना बनाई जा चुकी है और कलाकारों का चयन हो रहा है। निर्माता ने रणबीर कपूर को मुंह मांगे दाम देने का प्रस्ताव दिया है लेकिन स्वयं रणबीर कपूर ने भी इस विषय पर निर्णय के लिए समय मांगा है। ज्ञातव्य है कि एक दौर में पूंजी निवेशक जी.एन. शाह ने ‘तुलसीदास’ बायोपिक के लिए दिलीप कुमार से प्रार्थना की थी कि वे उनकी फिल्म में अभिनय करें। अमृतलाल नागर के उपन्यास ‘मानस के हंस’ से इस फिल्म के लिए प्रेरणा ली गई थी। फिल्मकार महेश कौल को मानस जुबानी याद था। अत: उन्होंने अपने मित्र अमृत लाल नागर को पटकथा लिखने के लिए आमंत्रित किया था। दोनों तुलसीदास भक्तों ने महीनों के परिश्रम के बाद फिल्म के लिए पटकथा तैयार की। नागर ने निश्चय किया कि वे अपने गृह नगर, लखनऊ जाकर फिल्म के लिए पटकथा का पुख्ता संस्करण लिखेंगे। इस बीच मात्र 41 की उम्र में जी.एन शाह की मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के बाद दिलीप कुमार ने यह कहकर उस फिल्म में अभिनय करना अस्वीकार कर दिया कि अगर वे इस फिल्म को करेंगे तो शूटिंग करते समय उन्हें प्रतिदिन अपने मित्र जी.एन.शाह की याद आएगी ।
ज्ञातव्य है कि जी.एन शाह ने दिलीप कुमार के कई आयकर के मामले सुलझाए थे और दोनों के बीच काफी सामंजस्य और मित्रता थी।
बहरहाल, अगर रणबीर कपूर यह भूमिका स्वीकार करते हैं, तो ‘रामायण’ के प्रदर्शन के बाद उनकी छवि कुछ ऐसी बन सकती है कि अन्य भूमिकाओं में उन्हें दर्शक स्वीकार नहीं करेंगे। ज्ञातव्य है कि त्रासदी की फिल्मों में अभिनय करने के लिए मीना कुमारी ने अपनी छवि में परिवर्तन लाने के लिए ‘मिस मैरी’ नामक फिल्म अभिनीत की जिसे दर्शकों ने अस्वीकार कर दिया। दरअसल सितारे छवि के गुलाम हो जाते हैं। अभिनेता प्राण ने राजकपूर की फिल्म ‘आह’ में समानांतर नायक की भूमिका अभिनीत की थी। लेकिन फिल्म असफल रही। इस असफलता का दूसरा कारण यह था कि फिल्म निर्माण के समय टी.बी को असाध्य रोग माना जाता था। फिल्म के प्रदर्शन के समय तक इलाज आ चुका था।
ज्ञातव्य है कि मणि रत्नम ने भी ‘रावण’ नाम से एक फिल्म पर काम किया था। इस फिल्म में गोविंदा का पात्र हनुमान जी के चरित्र से प्रेरित था। गौरतलब है कि एक कथा वाचक राम कथा इतने मनोभाव से सुनाते थे कि श्रोता भक्ति रस में सराबोर हो जाते थे। गोया की पात्र से ज्यादा कथा वाचक को ही सत्य माना जाता है।
शेखर कपूर की फिल्म ‘फूलन देवी’ पर स्वयं फूलन देवी ने ऐतराज जताया था। लेकिन अदालत का फैसला शेखर कपूर के पक्ष में गया। जब भी किसी किताब या फिल्म पर मुकदमा कायम किया गया। लेखक के पक्ष में ही फैसला गया। यूलिसिस पर भी अश्लीलता का आरोप लगा था। जस्टिस वूल्जे के फैसले को महत्वपूर्ण माना गया। उनका कथन था कि जज को विवादित रचना तीन बार पढ़नी चाहिए। पहले जानें कि क्या लेखक का दृष्टिकोण और उसकी मंशा सनसनी बेचने की है। दूसरी बात उसे आम आदमी के दृष्टिकोण से पढ़ना चाहिए कि क्या रचना के प्रभाव से आम आदमी को घृणा महसूस होती है? तीसरी बात जज स्वयं क्या महसूस करता है। क्या रचना के पढ़ने-पढ़ाने से पाठक के अवचेतन पर बुरा असर पड़ता है? क्या पढ़ने से वह अपराध की ओर जाता है। इस तरह तो प्रकरण सीधे फ़्योदोर दोस्तोयेव्स्की के उपन्यास ‘क्राइम एंड पनिशमेंट’ से जुड़ जाता है। बहरहाल, पूरी उम्मीद है कि प्रस्तावित फिल्म ‘रामायण’ बनेगी और प्रदर्शन अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के पूर्ण होते समय होगा। अत: कहा जा सकता है कि मायथोलॉजी कथाओं से मनोरंजन की वापसी होने जा रही है।