“विटनेस” मासूम आंखों की गवाही / राकेश मित्तल

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“विटनेस” मासूम आंखों की गवाही
प्रकाशन तिथि : 19 जुलाई 2014


इस फिल्म को केवल एक थ्रिलर फिल्म कहना ज्यादती होगी। सस्पेंस और थ्रिल के साथ-साथ इसमें एक बेहद सशक्त प्रेम कहानी गुंथी हुई है, जोकि एक आम प्रेम कहानी न होकर दो बिल्कुल विपरीत स्वभाव एवं परिवेश के स्वतंत्र व्यक्तियों की अत्यंत ऊर्जावान प्रेम गाथा है।

जिंदगी में सबसे बड़ा संघर्ष इस बात का रहता है कि हम जीने के लिए क्या इंतिखाब चाहते हैं और लोगों ने हमारे लिए क्या विकल्प चुन रखे हैं। इस जद्दोजहद में हम कई अनचाही, अनजानी चुनौतियों से रूबरू होते हैं। वर्ष 1985 में प्रदर्शित ऑस्ट्रेलियन फिल्मकार पीटर विअर द्वारा निर्देशित अमेरिकन थ्रिलर फिल्म 'विटनेस" ऐसी ही कुछ परिस्थितियां हमारे सामने रखती है। इसमें हम एक मासूम बच्चे के माध्यम से बड़ों की निष्ठुर और लंपट दुनिया में प्रवेश करते हैं। यह एक मर्डर मिस्ट्री होने के साथ-साथ अद्भुत प्रेम कहानी है। इस फिल्म को आठ ऑस्कर पुरस्कारों के लिए नामांकित किया गया था, जिनमें से इसे सर्वश्रेष्ठ पटकथा और संपादन हेतु दो पुरस्कार मिले। इसके अलावा इसे सात बाफ्टा और छ: गोल्डन ग्लोब सहित अनेक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए नामांकित एवं पुरस्कृत किया गया। विलियम कैली, पामेला वालेस और अर्ल वालेस की तिकड़ी द्वारा लिखी गई इस फिल्म की पटकथा को दुनिया की श्रेष्ठतम पटकथाओं में गिना जाता है। फिल्म की गति और दृश्यों की बुनावट कुछ इस तरह रची गई है कि दर्शक सांस थामे कुर्सियों से चिपककर रह जाते हैं।

इसे केवल एक थ्रिलर फिल्म कहना ज्यादती होगी। सस्पेंस और थ्रिल के साथ-साथ इसमें एक बेहद सशक्त प्रेम कहानी गुंथी हुई है, जोकि एक आम प्रेम कहानी न होकर दो बिल्कुल विपरीत स्वभाव एवं परिवेश के स्वतंत्र व्यक्तियों की अत्यंत ऊर्जावान प्रेम गाथा है। रेचल लेप (कैली मैकगिलिस) एक युवा विध्ावा है, जो अपने आठ वर्षीय बेटे सैमुअल (लुकस हास) के साथ एक छोटे गांव में रहती है। वे एमिश ईसाई समुदाय के सदस्य हैं। इस समाज के लोग बेहद सादा ग्रामीण जीवन व्यतीत करते हैं और अपने ही लोगों के बीच मस्त रहते हैं। बाहरी दुनिया से उन्हें बहुत ज्यादा सरोकार नहीं रहता। फिल्म में एमिश समाज के तौर-तरीकों और रहन-सहन को बहुत बारीकी तथा प्रामाणिकता से बताया गया है। पति की मृत्यु के कुछ दिन बाद रेचल सैमुअल को लेकर अपनी बहन से मिलने जाती है। रेल यात्रा के दौरान रास्ते में फिलाडेल्फिया स्टेशन के बाथरूम में सैमुअल एक कत्ल होते देख लेता है।

जासूस जॉन बुक (हैरीसन फोर्ड) एवं उसके साथी सार्जेंट एल्टन कार्टर (ब्रैंट जेनिंग्स) को इस कत्ल की तहकीकात का काम सौंपा जाता है। सैमुअल इस कत्ल का एकमात्र चश्मदीद गवाह है। जॉन पुलिस स्टेशन पर सैमुअल को बुलाकर उसे संभावित अपराध्ाियों के चित्र दिखाता है, कैदियों की परेड कराता है और पूरी कोशिश करता है कि किसी तरह सैमुअल कातिलों को पहचान ले किंतु सैमुअल कोई सुराग नहीं दे पाता। एक दिन अचानक अखबार में नारकोटिक्स पुलिस अध्ािकारी जेम्स मैकफी (डैनी ग्लोवर) की तस्वीर देखकर सैमुअल जॉन को बताता है कि यह व्यक्ति उन कातिलों में से एक था। जॉन के लिए यह सूचना अत्यंत दुविध्ाापूर्ण एवं संवेदनशील स्थिति उत्पन्ना कर देती है क्योंकि पुलिस विभाग के ही एक वरिष्ठ अधिकारी को कातिल साबित करना बेहद कठिन कार्य है। वह अपने बॉस शेफर (जोसफ सोमेर) को यह बात बताता है किंतु ऐसा करने से मामला और उलझ जाता है। पूरी सावधानी और गोपनीय तरीके से छानबीन करने के बावजूद कातिलों को जॉन की गतिविध्ाियों की भनक लग जाती है और वे जॉन, रेचल तथा सैमुअल की जान के पीछे पड़ जाते हैं। जॉन के साथी और पुलिस विभाग के भ्रष्ट अधिकारी उसका काम और भी दुष्कर बना देते हैं। एक के बाद एक नए-नए चौंकाने वाले खुलासे होने लगते हैं। बेहद रोचक एवं चकरा देने वाले मोड़ों से गुजरती हुई कहानी अंतत: अपने अंजाम पर पहुंचती है।

हैरीसन फोर्ड ने इस फिल्म में अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ अभिनय किया है। भोली-भाली मासूम विध्ावा युवती की भूमिका में कैली मैकगिलिस भी प्रभावित करती हैं। दोनों के बीच जिस तरह और जिन परिस्थितियों में प्रेम पनपता है, उसे देखना बेहद रोचक है। छोटे बच्चे सैमुअल की भूमिका में लुकस हास ने भी कमाल किया है। इस फिल्म ने उसे रातों-रात सफल सितारा बना दिया था।