“शिंडलर्स लिस्ट” मानवता का करुण क्रंदन / राकेश मित्तल

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“शिंडलर्स लिस्ट” मानवता का करुण क्रंदन
प्रकाशन तिथि : 29 मार्च 2014


यह फिल्म उत्कृष्ट सिनेमा का बेहतरीन उदाहरण है। नाजी सेना द्वारा यहूदियोें पर किए गए अत्याचारों का इतना सूक्ष्म और हृदय विदारक चित्रण किसी अन्य फिल्म में देखने को नहीं मिलता।

द्वितीय विश्व युद्ध और नाजी सेना के अत्याचारों की पृष्ठभूमि में अब तक जितनी भी फिल्में बनी हैं, उनमें 'शिंडलर्स लिस्ट" को निर्विवाद रूप से सर्वोच्च स्थान पर रखा जा सकता है। वर्ष 1993 में प्रदर्शित इस फिल्म ने निर्देशक स्टीवन स्पीलबर्ग को दुनिया के शीर्षस्थ फिल्मकारों की पंक्ति में खड़ा कर दिया। यह उनके फिल्मी करियर की सर्वश्रेष्ठ फिल्म मानी जाती है। फिल्म के प्रभाव को समग्र रूप से उभारने के लिए उन्होंने जान-बूझकर इसे श्वेत-श्याम में फिल्माया है। फिल्म की शुरूआत में मोमबत्तियों की रंगीन लौ दिखाई जाती है। वे बुझती हैं और काले धुएं की उंगली पकड़कर आगे श्वेत-श्याम कथानक शुरू हो जाता है। पचास के दशक में रंगीन फिल्मों का युग शुरू होने के बाद 'शिंडलर्स" लिस्ट" के रूप में पहली बार किसी श्वेत-श्याम फिल्म को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का ऑस्कर पुरस्कार दिया गया। सवा तीन घंटे लंबी यह फिल्म उत्कृष्ट सिनेमा का एक बेहतरीन उदाहरण है। नाजी सेना द्वारा यहूदियोें पर किए गए अत्याचारों का इतना सूक्ष्म और हृदय विदारक चित्रण किसी अन्य फिल्म में देखने को नहीं मिलता। इसमें एक तरफ अनंत यातनाएं, अपरिमित दु:ख और अनगिनत छल हैं, तो दूसरी तरफ इन्हें सहन करने की और इनसे लड़ते रहने की असामान्य जिद, असीमित इच्छाशक्ति और अदम्य जिजीविषा भी है। यह रजतपट पर लिखी गई एक कारुणिक कविता है।

यह फिल्म ऑस्कर शिंडलर नामक चेकोस्लोवाकिया मूल के उद्योपति की सच्ची कहानी है, जिसने लगभग 1100 यहूदियों को नाजी सेना की कैद से मुक्त कराकर उनके प्राण बचाए थे। उसकी इस साहसिक गाथा को ऑस्ट्रेलियन लेखक थॉमस कैनेली ने अपने उपन्यास 'शिंडलर्स आर्क" में वर्णित किया, जो इस फिल्म का आधार है।

जर्मनी की नाजी सेना ने 1939 में पोलैंड को हराकर उस पर कब्जा कर लिया था। फिल्म का केंद्रीय स्थल उस समय के पोलैंड का यहूदी बहुल शहर क्रेको है। ऑस्कर शिंडलर (लियम नीसन) चेकोस्लोवाकिया का एक सफल उद्योगपति है, जो युद्ध की विभीषिका से उत्पन्ना अवसरों का लाभ उठाने हेतु पोलैंड में अपना भाग्य आजमाने आता है। वह परले दर्जे का स्वार्थी, लालची और अय्याश व्यक्ति है, जो अपने फायदे के लिए किसी भी स्तर तक जा सकता है। वह क्रेको शहर में एक पुराना कारखाना खरीदकर अपना उद्योग स्थापित करता है और जर्मन सेना को सामान सप्लाई करने का ठेका हासिल कर लेता है। अपनी सहायता के लिए वह एक चतुर स्थानीय नागरिक आइजक स्टर्न (बेन किंग्स्ले) को मैनेजर नियुक्त करता है। नाजी सैन्य अधिकारीयों को हर तरह से खुश रखते हुए वह उनका पसंदीदा व्यक्ति बन जाता है।

क्रेको शहर के एक अत्यंत छोटे-से हिस्से में जर्मन सेना हजारों यहूदियों को ठूंसकर कैद कर लेती है। उन्हें अमानवीय यातनाएं देते हुए नाममात्र की मजदूरी पर उनसे कठोर शारीरिक श्रम कराया जाता है। शिंडलर भी अपने कारखाने में बेहद सस्ती दरों पर यहूदी मजदूरों को काम पर रखता है। इसी बीच जर्मन सेना का एक कमांडर अमॉन गोएथ (राल्फ फिनेस) क्रेको पहुंचता है, जिस पर एक नए नाजी कैंप का निर्माण करने की जिम्मेदारी है। शिंडलर रिश्वत एवं अय्याशी के साध्ान मुहैया कराकर उससे भी अच्छे संबंध्ा बना लेता है। गोएथ इंसान की शक्ल में नर-पिशाच है। नया कैंप बन जाने के बाद वह सभी यहूदियों को इस कैंप में भेजने का आदेश देता है। इस प्रक्रिया में अनेक यहूदियों का कत्ल कर दिया जाता है। कैंप में उन्हें भीषण यातनाएं दी जाती हैं। जरा-जरा-सी गलतियों पर उन्हें या तो तुरंत गोली से उड़ा दिया जाता है या अत्यंत क्रूरतापूर्वक प्रताड़ना देते हुए धीरे-धीरे मौत के मुंह में धकेला जाता है। कई बार गोएथ अपनी बालकनी में बैठे-बैठे सिर्फ मजे के लिए इन कैदियों को गोली मारता रहता है। यह सब देखकर शिंडलर का दिल दहल उठता है और वह किसी तरह इन कैदियों को बचाना चाहता है। आगे की कहानी शिंडलर द्वारा इन कैदियों को बचाने के भगीरथ प्रयासों की दास्तान है। फिल्म का अंत बेहद इमोशनल बन पड़ा है।

यह एक बेहद साहसिक फिल्म है। स्पीलबर्ग के निर्देशन की जितनी भी तारीफ की जाए, कम है। इस फिल्म को सिनेमा की हर विध्ाा के पैमाने पर एक संपूर्ण फिल्म कहा जा सकता है। निर्देशन, अभिनय, पटकथा, पार्श्व संगीत, सिनेमेटोग्राफी, संपादन, कला निर्देशन आदि सभी कुछ सर्वोत्तम है। फिल्म की पूरी शूटिंग क्रेको शहर में वास्तविक लोकेशंस पर की गई है। नाजी तौर-तरीकों और अत्याचारों को अत्यंत विश्वसनीय एवं प्रामाणिक ढंग से फिल्माया गया है। एक इंसान दूसरे इंसान से सिर्फ नस्ल के आध्ाार पर इतनी नफरत कर सकता है, यह देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। यह सब कुछ वास्तव में घटित हुआ था, यह सोचकर ही सिहरन होने लगती है।

इस फिल्म को बारह श्रेणियों में ऑस्कर के लिए नामांकित किया गया था, जिनमें सर्वश्रेष्ठ फिल्म और निर्देशक सहित सात श्रेणियों में इसे पुरस्कृत किया गया। इसके अलावा विश्व के सभी फिल्म समारोहों में इसे ढेरों पुरस्कार मिले हैं। बॉक्स ऑफिस पर भी यह सुपरहिट रही। भव्य बजट की फिल्म होने के बावजूद इसने अपनी लागत से पंद्रह गुना अधिक व्यवसाय किया। इसे विश्व सिनेमा के इतिहास की महानतम फिल्मों में शुमार किया जाता है। दुनिया के लगभग सभी फिल्म इंस्टीट्यूट्स में यह पाठ्यक्रम में शामिल है।