2012 का सच / मनोहर चमोली 'मनु'
चूहे ने आवाज लगाई-”मीकू खरगोश। बिल से बाहर निकलो। धरती खत्म होने वाली है। चलो भागो।” मीकू बिल से बाहर निकला। चूहे से कहने लगा-”भाग कर जाएंगे कहां?” चूहे ने जवाब दिया-” तुमने नहीं सुना? सन् 2012 में धरती समाप्त हो जाएगी। चलो, जहाँ सब भाग रहे हैं।”
“वहाँ कहाँ ? धरती तो गोल है। रहेंगे तो धरती पर ही न। उड़ने वाले पक्षी भी कहां जाएंगे? पानी में रहने वाले जीव भी कहां जाएंगे? कभी सोचा भी है? सुनी-सुनाई बातों में ध्यान नहीं देते। कुछ समझे?” मीकू ने चूहे को डांटते हुए कहा।
“मेरी तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है। मैं तो इतना जानता हूं कि धरती सन् 2012 में खत्म होने वाली है। आकाश से बमबारी होने वाली है। भयानक धमाका होगा और फिर सब कुछ खत्म हो जाएगा। यही कारण है कि हर कोई जान बचाने के लिए भाग रहा है।” चूहे ने सिर खुजाते हुए बोला।
मीकू को हंसी आ गई। वह बोला-”तुम बहुत भोले हो। आकाश में धमाके होते ही रहते हैं। इन धमाको को अंतरिक्ष की खगोलीय घटना कहते हंै। धरती जैसे कई हजारों ग्रह अंतरिक्ष का भाग हैं। अंतरिक्ष में एक क्षुद्र ग्रह पट्टी है। जिसे ‘एस्ट्रायड बेल्ट’ कहते हैं। इस बेल्ट से कई बार विशालकाय चट्टान निकल कर छिटक जाती है। वातावरण के दबाव की वजह से यह चट्टानें धरती की सतह पर टकराने से पहले ही वायुमंडल में नष्ट हो जाती है।”
चूहे ने पूछा-”तो क्या आसमान से बारिश के साथ-साथ बड़े-बड़े पत्थर भी गिर सकते हैं?”
“और नहीं तो क्या। वे तो गिरते ही रहते हैं। आसमान से विशालकाय चट्टानें औसतन दस-बारह साल में एक बार धरती पर गिरती ही हैं। धरती पर हर रोज कुछ न कुछ तो गिरता ही रहता है। पर वह धरती की सतह पर आने से पहले ही कई किलोमीटर उपर ही भस्म हो जाता है। धरती पर धूल के कण ही गिर पाते हैं।” मीकू ने आसमान की ओर देखते हुए बताया।
“अरे ! ये तो वाकई बहुत खतरनाक है।” चूंचू ने मुंह पर हाथ रखते हुए कहा। “इससे खतरनाक तो आग के गोले हैं।” मीकू ने कहा।
“क्या? आग के गोले! अब ये मत कहना कि आसमान से आग के गोले भी धरती पर गिर सकते हैं?” चूंचू उछल पड़ा।
मीकू ने समझाया-” गिरते हैं भाई। सूरज भी तो आग का गोला है। धरती अरबों साल पहले सूरज से ही तो छिटक कर दूर जा गिरी थी। सालों बाद वह ठंडी हुई। समझे। क्षुद्र ग्रह पट्टी से निकली चट्टानें कई बार वायुमंडल की रगड़ से आग के गोले में बदल जाती है। जरा सोचो, यदि ये आग के गोले बारिश की तरह धरती पर गिरने लगें तो क्या होगा?”
चूंचू डरते हुए कहने लगा-”मुझे तो डर लग रहा है।”
मीकू ने हंसते हुए कहा-”डरो नहीं। देखो। अभी अंतरिक्ष के कई रहस्य हैं, जिनके बारे में विज्ञान भी मौन है। अंतरिक्ष की कई घटनाएं ऐसी हैं, जिनके कारणों का जवाब किसी के पास अभी तक नहीं है। लेकिन खोज जारी हैं। वैज्ञानिक लगातार अंतरिक्ष के रहस्यों को सुलझाने में लगे हुए हैं। तुम हो कि भागने की सोच रहे हो।”
चूंचू ने पूछा-”तुम अंतरिक्ष के बारे में इतना कैसे जानते हो?”
मीकू ने गर्व से कहा-”मैं पत्र-पत्रिकाएं पढ़ता हूं। विज्ञान और अंतरिक्ष से जुड़े चैनलों के कार्यक्रम देखता हूं। और हां। मैं सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास नहीं करता। प्राकृतिक आपदाओं को टाला नहीं जा सकता है। हां। उनसे होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। हमें जागरुक रहना चाहिए। तो क्या अब भी तुम दौड़ोगे?”
चूहे ने कान खुजाते हुए कहा-”नहीं। नहीं। मैं यहीं हूं। आज तक तो मैं कार्टून ही देखा करता था। लेकिन अब मैं भी विज्ञान और अंतरिक्ष से जुड़े कार्यक्रमों को भी देखूंगा। मैं चला।” यह कहकर चूंचू अपने बिल में घुस गया और टी.वी. में विज्ञान चैनलों को खोजने लग गया।