4-3-3 / सेकंड हाफ़ : कॉर्नर / मिडफ़ील्ड / सुशोभित
सुशोभित
एम्सतर्दम का योहान क्राएफ़ एरीना। यूरोपियन चैम्पियनशिप के ग्रुप सी के एक महत्वपूर्ण मैच से पहले नीदरलैंड्स के खिलाड़ी ट्रेनिंग कर रहे थे। टीम के मैनेजर फ्रान्क दी बोअर मैदान में मौजूद थे। तभी एक हवाई जहाज़ ऊपर से गुज़रता है। उसके साथ एक स्लोगन बंधा हुआ है, जो आकाश में लहरा रहा है। ज़ाहिर है, खिलाड़ियों और मैनेजर का ध्यान उसकी ओर बरबस ही चला जाता है।
स्लोगन पर लिखा है– “फ्रान्क, प्लीज़ 4-3-3 फ़ॉर्मेशन खिलाइये!”
नीदरलैंड्स जैसे देश में, जहाँ फ़ुटबॉल उनकी कल्चर और ज़िंदगी का गहरा हिस्सा है, वहाँ बच्चे-बच्चे को पता है कि 4-3-3 के क्या मायने हैं। यह परम्परागत रूप से नीदरलैंड्स का प्रिय टीम फ़ॉर्मेशन रहा है। इसकी मदद से फ़्लुएड, अटैकिंग और क्रिएटिव फ़ुटबॉल खेली जा सकती है। यह और बात है कि नीदरलैंड्स ने 1988 का यूरो कप 4-4-2 के फ़ॉर्मेशन से जीता था। वह उनका अभी तक का इकलौता इंटरनैशनल टाइटल है, जबकि वे तीन विश्व कप फ़ाइनल खेलकर हार चुके हैं।
4-3-3 सेंट्रल बिल्डअप का फ़ॉर्मेशन है– पज़ेशन फ़ुटबॉल के लिए मुफ़ीद। नीदरलैंड्स-फ़ुटबॉल के गहरे जानकार रूड हलीट ने कहा था 4-3-3 फ़ॉर्मेशन की सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें आप तीन-तीन के हरावल-दस्ते में पूरी पिच पर खेल सकते हैं और एक ट्रायो दूसरे से लिंक-अप करके आगे बढ़ सकता है। यह सेंट्रल मिडफ़ील्डर्स को हमेशा आगे बढ़ने के दो विकल्प देता है। जब रूड हलीट और वान बास्तेन एसी मिलान में खेलने गए थे, तो वहाँ उन्हें 4-4-2 के फ़ॉर्मेशन में खेलना पड़ा था और वह लम्बे समय तक इसमें सहज नहीं थे। जब योहान क्राएफ़ बार्सीलोना के कोच बनकर आए, तो अपने साथ 4-3-3 की डच-विरासत लेकर आए थे।
4-3-3 की ख़ासियत यह है कि यह सेंटर फ़ॉरवर्ड के महत्व को घटाता है और विंगर्स को उतना ही महत्व देता है। ये विंगर्स लेफ़्ट और राइट फ़्लैन्क में वाइड खेल रहे होते हैं और फ़ील्ड को खुला रखते हैं। नीदरलैंड्स में कहा जाता है कि विंगर के जूतों पर चॉक का निशान लगा होना चाहिए, यानी कि उसे टचलाइन से सटकर खेलना चाहिए- ताकि फ़ील्ड वाइड बनी रहे।
1995 का चैम्पियंस लीग फ़ाइनल आयैक्स और मिलान के बीच खेला गया था। यह प्रकारांतर से आयैक्स के 4-3-3 और मिलान के 4-2-2 फ़ॉर्मेशन का मुक़ाबला भी था। अंत में पैट्रिक क्लुइवर्त के लेट-विनर ने आयैक्स को जीत दिलाई। इसमें ट्रिक यह थी कि आयैक्स ने अपने फ़ॉर्मेशन को खेल के बीच में 3-4-3 कर दिया था, जिसमें मिडफ़ील्ड से एक खिलाड़ी आगे बढ़कर तीन फ़ॉरवर्ड खिलाड़ियों से जुड़ गया था। यानी मिलान के चारों डिफ़ेंडरों से आयैक्स के चार फ़ॉरवर्ड्स की वन-ऑन-वन की स्थिति निर्मित हो गई थी। इसके बाद का काम क्लुइवर्त के फ़िनिशिंग-कौशल ने पूरा कर दिया। नीदरलैंड्स में कहते हैं कि क्लुइवर्त दूसरे महानतम डच सेंटर फ़ॉरवर्ड थे– पहले थे मार्को वान बास्तेन।
लेकिन बीते बरसों में डच मैनेजर्स दूसरे फ़ॉर्मेशन आज़माते रहे हैं। यूरो 2020 में नीदरलैंड्स और यूक्रेन के बीच खेले गए मैच में डच-टीम 3-5-2 के फ़ॉर्मेशन के साथ मैदान में उतरी थी। रॉनल्ड कुमैन– जो कि डच-टीम के कोच बनते-बनते रह गए और बाद में बार्सीलोना के कोच बने– ने बार्सीलोना में भी अधिकतर समय यही 3-5-2 का फ़ॉर्मेशन खिलाया था। 2014 के विश्व कप में सेमीफ़ाइनल तक पहुँचने वाली नीदरलैंड्स की टीम के कोच लुई वान हाल थे। वह इससे भी एक क़दम आगे बढ़ गए। उन्होंने 5-3-2 का अत्यंत डिफ़ेंसिव फ़ॉर्मेशन खिलाया। तब भी डच-प्रशंसकों ने इसकी बहुत आलोचना की थी।
जब उन्हें पता लगा कि फ्रान्क दी बोअर 3-5-2 पर अड़े हुए हैं, तो उन तक अपनी आवाज़ पहुँचाने के लिए उन्हें इससे बेहतर कोई रास्ता नहीं सूझा कि ट्रेनिंग ग्राउंड के ऊपर एक हवाई जहाज़ उड़ाकर स्लोगन के माध्यम से अपने प्रिय फ़ॉर्मेशन की याद दिलाएँ।