आना जनसन और मे ज़ैदी / बलराम अग्रवाल
आना जनसन
1930 में, जिब्रान जब शारीरिक बीमारी से बेहाल थे, उनका आत्मविश्वास भी डगमगा गया था। वह पूरी तरह पराश्रित हो गए थे। उस काल में न्यूयॉर्क की उस इमारत के, जिसमें वह रहते थे, केअरटेकर की पत्नी आना जॉनसन (Anna Johansen) ने निश्छल भाव से दिन-रात उनकी सेवा की।
मे ज़ैदी
दोस्ती का सबसे अजीब सिलसिला एक लेबनानी महिला पत्रकार मे ज़ैदी (May Ziadeh) के साथ चला। प्रकाशित होने वाली अपनी हर पुस्तक की पहली प्रति जिब्रान समीक्षा के लिए मे ज़ैदी को भेजते थे। मे का जन्म फिलिस्तीन में हुआ था और वह कॉन्वेंट शिक्षित थी। जिब्रान की तरह ही वह धाराप्रवाह, अंग्रेजी और फ्रेंच बोलती थी। 1908 में वह काहिरा चली गई थी जहाँ से उसके पिता ने एक समाचारपत्र शुरू किया था। 1911 में आइसिस कोपिया (Isis Copia) उपनाम से उसकी कविताओं का एक संग्रह भी आया था। वह मिस्र के एक पत्र ‘अल हिलाल’ में उन पुस्तकों की निष्पक्ष समीक्षा लिखती थीं। साथ ही जिब्रान को एक विशेष पत्र द्वारा सूचित भी करती थीं और समीक्षा से अलग भी उनकी पुस्तक पर विचार-विमर्श करती थीं। लेखन के स्तर पर उन दोनों के बीच मतान्तर रहता था और खलील मे ज़ैदी की व्यापक बुद्धिमत्ता व स्पष्टवादिता की खुलकर प्रशंसा किया करते थे। मे ज़ैदी ने खलील जिब्रान की पुस्तक ‘टिअर्स एंड लाफ्टर्स’ को बेहद बचकाना काम बताया था जिसका उत्तर देते हुए जिब्रान ने उन्हें लिखा था — ‘मुझे तुम्हें यह बताने में तनिक भी संकोच नहीं है कि यह कृति विश्वयुद्ध से पहले की है। उस समय मैंने तुम्हें उसकी एक प्रति भेजी थी लेकिन वह तुम्हें मिली या नहीं, इसकी सूचना आज तक तुमसे नहीं मिली। ‘टिअर्स एंड लाफ्टर्स’ में संग्रहीत सभी रचनाएँ मेरी प्रारम्भिक रचनाएँ हैं जिन्हें अब से 16 वर्ष पहले मैंने ‘अलमुहाजिर’ के लिए धारावाहिक लिखा था। नसीब आरिदा (अल्लाह उसे माफ करे) उन लोगों में से एक था जिन्होंने उन तमाम रचनाओं को इकट्ठा किया। उनमें उसने मेरी दो रचनाएँ और जोड़ीं जो मेरे पेरिस निवास के दौरान लिखी गई थीं और एक पुस्तक में संग्रहीत भी थीं। अपने बचपन में और किशोरावस्था में ‘टिअर्स एंड लाफ्टर्स’ की रचनाओं से पहले मैंने काफी गद्य और काव्य लिखा है। इतना, कि कई पुस्तकें तैयार हो जाएँ। लेकिन मैंने कभी भी उन्हें प्रकाशित कराने का अपराध नहीं किया और न आगे ही कभी करूँगा।’
लगभग 35 वर्षों तक दोनों के बीच मात्र पत्र-मित्रता रही और वे कभी भी एक-दूसरे से नहीं मिले। इस मित्रता का खुलासा जिब्रान की मृत्यु के बाद मे ज़ैदी द्वारा जारी जिब्रान के पत्रों से हुआ। उनमें से दो पत्र अथवा उनके अंश आगे दिये गये हैं:--