गुरदयाल सिंह
Gadya Kosh से
गुरदयाल सिंह
जन्म | 10 जनवरी 1933 |
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निधन | 16 अगस्त 2016 |
उपनाम | गुरदयाल सिंह राही |
जन्म स्थान | नानका गाँव, भैनी फत्ता, ज़िला बरनाला, पंजाब, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
भागोंवाले (कहानी-संग्रह, 1957), सग्गी फुल्ल, चन्न डा बूटा, ओपरा घर, कुत्ता ’ते आदमी, मस्ती बोटा, रूखे मिस्से बन्दे, बेगाना पिण्ड, पक्का टिकाना, करीर दी धिनरी (सभी कहानी-संग्रह), मढ़ी दा दीवा ( उपन्यास,1964), अन्होए, रेते दी इक मुठी, कुवेला, अद्ध चाननी रात, आथण उग्गण, अन्धे घोड़े का दान, पहु फुटाले तों पहिलाँ, परसा (1992), आहन (2009) — सभी उपन्यास । फरीदा रातीं वड्डीआं, विदैगी तों पिछों, निक्की मोटी गल — सभी नाटक। नियाण मत्तीआं (आत्मकथा -1), दूजी देही (आत्मकथा-2)।इसके अलावा बच्चों के लिए भी बारह किताबें लिखीं। | |
विविध | |
पंजाबी लेखक गुरदयाल सिंह अपनी अनुपम कहानियों और उपन्यासों के लिए प्रसिद्ध हैं। 1999 में इन्हें भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला और में 1998 में पद्मश्री। साहित्य आकादेमी पुरस्कार 1975; सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार 1986, पंजाब साहित्य अकादेमी पुरस्कार 1989; शिरोमणि साहित्यकार पुरस्कार 1992 आदि। | |
जीवन परिचय | |
गुरदयाल सिंह / परिचय |