गोडसे@गांधी.कॉम / सीन 5 / असगर वज़ाहत
(मंच पर अँधेरा है। उद् घोषणा शुरू होती है।)
उद् घोषणा : न सिर्फ यह कि नाथूराम गोडसे के मुकदमे में गांधी अदालत में बयान देने नहीं गए बल्कि उन्होंने अदालत को लिख कर दे दिया कि उन्होंने गोडसे और उसके साथियों को माफ कर दिया है। इसका नतीजा ये निकला कि मुकदमा कमजोर पड़ गया। गोडसे के इकबाल-ए-जुर्म के बावजूद अदालत ने गोडसे को पाँच साल, नाना आप्टे को तीन साल, और करकरे को दो साल की सजा सुनाई। शंकर किस्तैया, गोपाल गोडसे, सावरकर, डॉक्टर परचुरे और बागड़े को रिहा कर दिया गया।
(धीरे-धीरे प्रकाश आता है। जेल में नाथूराम गोडसे और नाना आप्टे बैठे हैं। गोडसे गीत का पाठ कर रहा है।)
नाथूराम :
य एनं वेत्ति हंतारं यश्रेनं मन्यते इतम्।
उमौ तौ न विजानीतो नायं हंति न हन्यते।।
बहुत स्पष्ट ढंग से गीता ने आत्मा और शरीर के
संबंध को स्पष्ट किया है...
न जायते म्रियते वा कदचित्रायं
भूत्वा भविता वा न भूय: अजो नित्य...
(विष्णु करकरे दूर से 'नाथूराम' चिल्लाता हुआ, हाथ में
अखबार लिए मंच पर आता है)
करकरे : नाथूराम... देखा तुमने
नाथूराम : क्या करकरे...।
करकरे : ये देखा... गांधी ने कांग्रेस छोड़ दी है।
(नाथूराम और नाना अखबार देखते है।)
नाथूराम : सब पाखंड है... गांधी तो सदा झूठ बोलता ही रहा है। उसकी किसी बात पर विश्वास नहीं किया जा सकता।
नाना : क्या छापा है... दिखाओ।
(तीनों अखबार पढ़ते हैं।)
नाथूराम : गांधी तो पूरा पाखंडी है। कांग्रेस छोड़ दी... अरे वह तो कांग्रेस का मेंबर तक नहीं था।
करकरे : पर अखबार में झूठ कैसे छप सकता है।
नाथूराम : गांधी ने कभी सच बोला है? कहा करता था पाकिस्तान मेरी लाश पर बनेगा। लेकिन देखा क्या हुआ। पाकिस्तान का पिता जिन्ना नहीं, गांधी है। हिंदुओं का जितना अहित औरंगजेब ने न किया होगा, उससे ज्यादा गांधी ने किया है... पवित्र भूमि पर इस्लामी राष्ट्र का निर्माण उसकी ही नीतियों के कारण हुआ है।
(नाथूराम उठ कर बेचैनी से टहलने लगता है। उसके चेहरे पर पीड़ा और क्रोध दिखाई पड़ता है। लगता है वह बहुत भावुक हो गया है। वह धीरे-धीरे पर बड़े ठहरे हुए ढंग से बोलता है।)
नाथूराम : नाना, अपने को असहाय समझने, अपमानित होने और निष्क्रिय बौद्धिकता की एक सीमा है... जब मुझे लगा था कि एक आदमी है... हमारे-तुम्हारे जैसा आदमी... वह इतना शक्तिशाली है कि जूरी भी वही है, जज भी वही है। मुकद्दमा दायर वही करता है, सुनता भी वही है और फैसला भी वही सुनाता है... और सारा देश उसका फैसला मान लेता है... और यह सब होता है हमारी कीमत पर... मतलब हिंदुओं की कीमत पर नाना, यह देश हमारा है... पवित्र मातृभूमि है... हमारी कीमत पर मुसलमानों को सिर पर चढ़ाना इतना अपराध है जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती। गांधी यही करता रहा है... शुरू से, खिलाफत आंदोलन से ले कर पाकिस्तान बनने तक... यही वजह थी कि मुझे अपना जीवित रहना अर्थहीन लगने लगा था... हिंदुत्व के लिए, मातृभूमि के लिए, हजारों साल की संस्कृति के लिए क्या एक आदमी, मेरे जैसे तुच्छ आदमी, अपना बलिदान नहीं दे सकता? क्या पूरी हिंदू जाति नपुंसक हो गई है। गुरू जी ने कहा था कि गांधी ने अपनी उम्र जी ली है तब मुझे लगा था कि यही समय है, यह निकल गया तो हमेशा हाथ मलते रह जाएँगे। यह मातृभूमि और हिंदू जाति के लिए मेरी तुच्छ सेवा होगी जिसे कानूनी तौर पर चाहे अपराध माना जाए लेकिन ईमानदारी से इतिहास लिखनेवालों के लिए यह एक स्वर्णिम अध्याय होगा... समझे तुम।
नाना : तुम महान हो... गोडसे।
गोडसे : ये बकवास है नाना... कोरी बकवास... मैं अपने उद्देश्य को पूरा न कर सका... तुम अनुमान लगा सकते हो कि मेरे मन में कैसी ज्वाला धधक रही है?