गोडसे@गांधी.कॉम / सीन 8 / असगर वज़ाहत

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(मंच पर अँधेरा है।)

उद् घोषण : (नेहरू की आवाज में)

डियर बापू

आप कैसे हैं? आप इतनी दूर चले गए कि खत या तार तक आपके प्रयोग आश्रम में देर से पहुँचते हैं। श्री बाबू ने हमें बताया था कि आपने टेलीफोन लाइन लगाने की इजाजत नहीं दी है। इस बात पर हैरान था क्‍योंकि इससे पहले आपने जितने आश्रम बनवाए थे वहाँ टेलीफोन था। बहरहाल मुझे ही नहीं पूरे मुल्क को आपकी कमी खटकती रहती है। आप हमेशा हमारे लिए इंस्पिरेशन का सोर्स रहे हैं और आपके मशविरे से हम लोगों ने अच्‍छा काम किया है...

(धीरे-धीरे रोशनी आती है। गांधी हाथ में खत पकड़े पढ़ रहे हैं। सामने श्री बाबू और दो-तीन कांग्रेसी बैठे हैं।)

आप बिहार में जो कर रहे हैं उसकी जानकारी श्री बाबू से मिलती रहती है। मुझे बताया गया कि पंचायतें बहुत एक्टिव हो गई हैं और उन्‍होंने एडमिनिस्‍ट्रेशन का पूरा काम सँभाल लिया है। अदालतें, पुलिस और सिविल एडमिनिस्‍ट्रेशन का रोल बहुत कम रह गया है। ये खुशी की बात है कि जनता अपने ऊपर खुद हुकूमत कर रही है आपने गाँव के लोगों को जोड़ कर डेवलपमेंट के जो काम किए हैं, उसकी भी मुझे पूरी खबर है। हम चाहते थे कि पिछले साल आप प्‍लानिंग कमीशन की मीटिंग में आते, लेकिन किसी वजह से आप नहीं आ पाए... अब इस साल जनरल इलेक्‍शन होने जा रहे हैं, इसमें हम सब, अपकी मदद चाहते हैं। बिहार के चीफ मिनिस्‍टर श्री बाबू ये खत लेकर आपके पास आ रहे हैं...

(गांधी खत रख देते हैं। सामने बैठे श्री बाबू से)

गांधी : नेहरू की चिट्ठी ले कर तुम इतने दूर क्‍यों आए श्री बाबू... भिजवा दी होती।

श्री बाबू : मैं भी आपके दर्शन करना चाहता था। कई साल हो गए थे आपको देखे... फिर पंडित जी की सख्त हिदायत थी कि चिट्ठी आपके हाथ में दी जाए।

गांधी : ठीक है... अच्‍छा है आ गए। तुम्‍हे देख कर चंपारण सत्‍याग्रह की याद आ गई।

श्री बाबू : मुझे तो उसके पहले की याद आई है बापू... 1916 में बनारस के हिंदू कॉलेज में आपका भाषण...

गांधी : हाँ, बहुत समय बीत गया... और क्‍या कहा है जवाहर ने?

श्री बाबू : चुनाव में सहयोग देने की अपील की है।

गांधी : चुनाव में कांग्रेस को वोट देने की बात तो मैं कर ही नहीं सकता... क्‍योंकि तुम जानते हो मैं कांग्रेस के पक्ष में नहीं हूँ।

श्री बाबू : बापू, आप जानते है मैं भी कई मुद्दों पर अलग ढंग से सोचता हूँ... पंडित जी से चिट्ठी-पत्री होती रहती है... लेकिन बापू... आज के हालात में... एक मजबूत सरकार जरूरी है। चुनाव में आपका... समर्थन मिलना ही चाहिए।

गांधी : (बात काट कर) देखो, जहाँ तक चुनाव की बात है... इस क्षेत्र में... मतलब चार जिलों में चुनाव हो गए हैं।

श्री बाबू : (आश्‍चर्य से) जी... ये कैसे बापू?... अभी तो... कम-से-कम तीन महीने हैं...

गांधी : यहाँ चुनाव हो चुके हैं।

श्री बाबू : मैं संसद के चुनाव की बात कर रहा हूँ।

गांधी : मैं भी संसद के चुनाव की बात बता रहा हूँ।

श्री बाबू : लेकिन... बापू देश में संसद का चुनाव तो अगले साल अप्रैल में होना है।

गांधी : लेकिन यहाँ हो गए हैं... सरकार भी बन गई है... और देखो... बावनदास... यहाँ का (बावनदास सामने लकड़ी चीर रहा है।)... प्रधानमंत्री बना है।

श्री बाबू : बापू... एक देश में दो सरकारें कैसे हो सकती है?

गांधी : एक देश में दस सरकारें हो सकती हैं... क्‍या कठिनाई है?... तुम अपनी सरकार चलाओ... यहाँ के लोग अपनी सरकार चलाएँगे... यही तो हमारी संस्‍कृति है... बिहार का इतिहास तुम ज्‍यादा जानते हो...

श्री बाबू : दो सरकारों में टक्कर होगी न?

गांधी : क्‍यों? सरकारें एक-दूसरे से टकराने के लिए थोड़ी बनती हैं।

(बावनदास आ जाता है।)

गांधी : (बावनदास से)... तुम्‍हारे मंत्री अभी क्‍या काम कर रहे हैं?

बावनदास : अभी... सब कुँआ खोद रहा है... पचास गाँव में... सौ कुँआ खोदने का है...

गांधी : श्री बाबू को पहचानते हो बावनदास...

बावनदास : अच्‍छी तरह चीन्‍हते हैं... पटना में श्री बाबू के साथ जेल भी गया हूँ... सेवादल में रहा हूँ...

गांधी : (श्री बाबू से)... ये सब तुम्‍हारे लोग हैं...

श्री बाबू : (पुराने प्रसंग में लौटने का प्रयास करते हुए)... तो मैं क्‍या करूँ बापू?

गांधी : नेहरू को बता दो... कि यहाँ तुम्‍हारे चार जिलों में सरकार बन चुकी है... उसके साथ सहयोग करने की अपील है...