गोडसे@गांधी.कॉम / सीन 7 / असगर वज़ाहत
(मंच पर अँधेरा है।)
उद् घोषणा : पुणे के समाचार पत्र हिंदू भारत ने नाथूराम गोडसे को हिंदू हृदय सम्राट की उपाधि दी है। हिंदू महासभा के वार्षिक अधिवेशन में नाथूराम कोष बनाने की योजना पारित हुई है। जेल के बाहर गोडसे से मिलनेवालों की भीड़ लगी रहती है।... गोडसे के प्रशंसक लगातार पत्र भेजते रहते हैं। कई शहरों की हिंदू जनता ने गोडसे को प्रशस्ति-पत्र भी भेजे हैं। गोडसे हिंदुत्व का प्रतीक बन गया है।
(धीरे-धीरे मंच पर रोशनी होती है। गोडसे और करकरे अखबार पढ़ रहे हैं।)
करकेर : ये गांधी क्या कर रहा है, समझ में नहीं आता।
गोडसे : (लापरवाही से) यह सब मजाक है करकरे... गांधी ने हर काम इसी तरह किया है।
करकरे : लेकिन सरकार से इस तरह का व्यवहार करना तो कठिन है।
गोडसे : सरकार किसकी है? उसी की सरकार है, वही सबसे बड़ा मुखिया है...
करकरे : गांधी की लोकप्रियता... भी बढ़ रही है... आदिवासी क्षेत्र में स्वराज का काम फैल रहा है...
गोडसे : तुम भ्रम में हो करकरे... सच्चाई कुछ और है...
(नाना आप्टे कुछ चिट्ठियाँ और एक पैकेट लिए मंच पर आते हैं। )
नाना : (गोडसे को चिट्ठियाँ देते हुए) ... तुम्हारी डाक दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है...
करकरे : इस पैकेट में क्या है?
गोडसे : लो खोल कर देख लो।
(करकरे पैकेट खोल कर देखता है। )
नाना : अरे ये तो स्वेटर है...
करकरे : ये पत्र भी है... देखो
(करकरे पत्र गोडसे को दे देता है। )
गोडसे : (पढ़ता है) परम पूजनीय हिंदू हृदय सम्राट महामना श्री नाथूराम गोडसे जी...।
(रूक जाता है।)
नाना : पढ़ो-पढ़ो, क्या लिखा है?
गोडसे : लो, तुम ही पढ़ो।
नाना : शहर की समस्त हिंदू स्त्रियों की ओर से चरण स्पर्श... करने के बाद निवेदन है कि जाड़ा आ रहा है और सर्दी से बचने के लिए हमारी छोटी-सी भेंट स्वीकार...
करकरे : (बात काट कर) कमाल है गोडसे तुम्हारी लोकप्रियता आकाश छू रही है।
नाना : गोडसे जब तुम अदालत में बयान दिया करते थे तो मैंने लोगों की आँखों से टप-टप आँसू बहते देखा हैं। लोग इतना प्रभावित और द्रवित हो जाते थे कि रोते थे...
गोडसे : इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं नाना... मैं अपने को सौभाग्यशाली समझता हूँ... मेरे पास कॉलिज क्या, स्कूल तक का कोई प्रमाण-पत्र नहीं है... लेकिन मुझे श्रद्धा करनेवाले हजारों-लाखों हैं। क्योंकि हिंदुत्व की रक्षा ही मेरा जीवन है।
करकरे : वार्डर बता रहा था कि नौजवान तुम्हारी एक झलक पाने के लिए जेल के चक्कर लगाया करते हैं।
गोडसे : गुरूजी का आशीर्वाद है... यह उनका ही दिखाया हुआ रास्ता है। उन्होंने साफ शब्दों में मुझसे कहा था कि हिंदू हितों की उपेक्षा करनेवाले देश शत्रु है और शत्रु को मित्र नहीं समझना चाहिए... पर दुख की बात है कि मैं अपना काम पूरा नहीं कर सका।
नाना : नाथूराम, दुख मत करो... भगवान तुम्हें अवसर देगा। न्याय होकर रहेगा। और यह अच्छा है कि गांधी सत्ता से दूर चला गया है। लगता है अब कांग्रेस में उसका वह स्थान भी नहीं है जो पहले हुआ करता था।
गोडसे : कुछ हो या न हो... गांधी भारत विभाजन का अपराधी है और भारत विभाजन को तुम क्या समझते हो नाना... यह हमारे धर्म, इतिहास और आस्था का विभाजन है।... और सुनो विभाजन के बाद असंख्य हिंदुओं की हत्या करने और बाकी हिंदुओं को पाकिस्तान से भगानेवाले मुसलमानों से गांधी की सरकार ने कहा - आप लौट आइए... हमारा देश धर्म निरपेक्ष है, आप कैसा भी व्यवहार क्यों न करें हम तो आप से भला ही व्यवहार करेंगे... आपको मारने के लिए कोई हाथ उठाएगा तो उसका पूरा नाश करने के लिए हमने सेना को तैयार कर लिया है। हमारी बंदूक आपके ऊपर कभी नहीं तनेगी क्योंकि उसमें हिंसा होने का भय है...
नाना : इसी को गुरुजी मुस्लिम तुष्टिकरण कहते हैं...
गोडसे : हाँ... बिलकुल ठीक कहते हो, लेकिन इतिहास का चक्र घूम चुका है।