गोली / आचार्य चतुरसेन शास्त्री / पृष्ठ 1

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ऐतिहासिक कथा-लेखक के सर्वाधिक प्रसद्धि स्तंभ आचार्य चतुरसेन ने इस उपन्यास में राजस्थान के रजवाड़ों और उनके रंगमहलों की भीतरी ज़िन्दगी का बड़ा मार्मिक, रोचक और मनोरंजक चित्रण किया है। उसी परिवेश की एक बदनसीब गोली की करुण-कथा, जो जीवन-भर राजा की वासना का शिकार बनती रही और उसका पति उसे छूने का साहस भी नहीं कर सका।

यह विशिष्ट संस्करण सम्पूर्ण मूल पाठ है। इसलिए इसे हमेशा प्रामाणिक दस्तावेज के रूप में समझा जाएगा।

‘‘चिकित्सक के नाते धीरे-धीरे राजस्थान के राजवर्गी जनों से मेरा सम्पर्क बढ़ा और शीघ्र ही उनके रनिवासों में मेरी पैठ हो गई। बड़े-बड़े अनहोने चित्र और मानव-चरित्र मेरे सामने आए। बहुत से राजा-महाराजों के, रानियों के भीतरी आर्तनाद, दुर्बलताएं, मूर्खताएं, कुत्साएं मुझ पर प्रकट होने लगीं।... और मैं इतिहास में रूचि रखने लगा। ऐसे मिली लिखने की महती प्रेरणा।’’

आचार्य चतुरसेन शास्त्री