छूता-फिसलता जीवन (पृष्ठ-1) / तेजेन्द्र शर्मा

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ग्यारह महीने के पैरी ने आज पहला कदम चला।

अपने आप को संभाल नहीं पा रहा था। वह दौड़ा, और बस गिरने ही वाला था कि मैंडी ने भाग कर उसे अपनी बाहों में भर लिया.. ..अपनी गोदी में बिठा लिया। आज पहली बार उसे महसूस हुआ कि वह पैरी की मां है। पैरी की संभावित चोट ने उसके भीतर की औरत को जैसे आज अचानक जीवित कर दिया था।

मैंडी - यानि कि मंदीप ब्रार ! हाउंसलो सेंट्रल स्टेशन के निकट बुलस्ट्रोड एवेन्यू के एक घर में जन्मी, पली, बड़ी हुई। आज उसी घर में रह कर घुटती है, सोचती है और जीवन उसे छूता, छोड़ता आगे बढ़ जाता है। कभी उसके मन में भी भावनाओं का प्रबल तूफ़ान रहा करता था।

उस तूफ़ान का नाम था जेम्स – उसके अपने भाई कमलजीत का दोस्त। जेम्स सप्ताह में दो दिन तो उनके घर ही रात का खाना खाता था। भारतीय चटपटा खाना उसकी कमज़ोरी थी। चुप चुप रहने वाला जेम्स, अपनी अनकही बातों से भी मैंडी के दिल को बहुत कुछ कह जाता था। मैंडी स्वयं भी नहीं समझ पा रही थी कि प्यार एकतरफ़ा है या फिर जेम्स भी उसके प्रति ऐसी ही कोमल भावनाएं अपने दिल में समाए है। जेम्स ने कभी भी मैण्डी पर यह साफ़ नहीं किया कि उसका मन क्या कहता है।

मैण्डी के मन की बात मैण्डी के दिल दिमाग़ और आत्मा, सभी सुन चुके थे। वह शाम को बन संवर कर जेम्स की प्रतीक्षा करती जैसे कोई ब्याहता अपने पति के दफ़्तर से आने पर करती है। पढ़ी लिखी माडर्न मैण्डी अचानक जेम्स के मामले में एक भारतीय ग्रहणी बन जाती। मेज़ के दूसरी ओर से उसे खाना खाते देखती, निहारती और आलौकिक सुख का आनंद लेती। जेम्स मैण्डी की बात समझा या नहीं, लेकिन उसकी मां ज़रूर सब कुछ समझ गई। "नीं रुढ़ जाणिये, मैं तेरे सारे चाले वेख रही हां। अपणे मन चों ऐ गल्ल कढ्ढ दे। मैं तेरा ब्याह उस गोरे नाल नहीं करणा। मोये खसमां नू खाणे, गां दा मीट खांदे ने। तू आपे सुधर जा, नहीं तां किसे दिन तेरी गुतड़ी घुमा छडांगी।"

कमलजीत भी अपनी बहन की भावनाओं से परिचित था। औरों के मामले में दख़ल देना उसकी आदत में शामिल नहीं था। कई बार तो मां को ही समझाने बैठ जाता। मैंडी बस मां और भाई की बातचीत सुनती और मुस्कुरा भर देती। उसने कुछ ख़ामोश निर्णय तक ले डाले थे। आवश्यक्ता पड़ने पर वह उन फ़ैसलों पर अमल करने को भी तैयार थी। जैसे उसने सोच लिया था कि अगर जेम्स चाहेगा तो वह उसके साथ घर छोड़ कर भाग जाएगी। किन्तु जेम्स के लिए मैंडी की भावनाओ का कोई अर्थ नहीं था। न तो मैंडी उसके सपनों की रानी थी, न ही वह उसके मन में मैंडी के लिए प्रेम जैसी कोई भावना थी। कहने को उसकी अपनी एक गर्ल फ़्रेण्ड थी। लेकिन उसके लिए भी प्रेम जैसी कोमल भावना उसके दिल में नहीं थी। जेम्स के लिए गर्लफ्रेण्ड़ का अर्थ था सेक्स!..बस और अधिक सेक्स।

मैंडी तो अपने सपनों में बहुत आगे तक निकल गई थी। जेम्स उसके लिए केवल एक नाम नहीं था, वह उसके लिए जीने का प्रयाय बनता जा रहा था।

--- ट्रैक सूट पहने मैंडी बायरन पार्क में जॉगिंग कर रही थी। मन में कहीं एक चाह सी भी उठ रही थी कि काश! ऐसे में कहीं से जेम्स आ जाए-- तो शाम कितनी रंगीन बन सकती है। आसमान में हलके हलके बादल, बायरन पार्क की हरियाली, पेड़ों की पत्तियों में पतझड़ के ख़ूबसूरत रंग और उसके हाथों में जेम्स के हाथ!.. क्या रोमांस का अर्थ इससे अधिक रोमांटिक हो सकता है? ..

पास ही कुछ लड़के फ़ुटबॉल खेल रहे थे, उनमें जेम्स को ढूंढने का प्रयास कर रही थी। मन ही मन वाहे गुरू से प्रार्थना कर रही थी।

प्रार्थना स्वीकार हो गई। सामने पार्क के गेट से जेम्स भीतर आता दिखाई दिया। डूबते सूरज के झुरमुटे में भी वह जेम्स को पहचान गई। एकदम ग्रीक देवता सा लग रहा था। …लपकी ! "हाय जेम्स!"

"हाय मैंडी!" जेम्स ने ज़रा खुली आवाज़ में कहा। मैंडी के घर में तो शर्माता ही रहता था।

आज मैंडी भी अचानक मिली प्रसन्नता के कारण जैसे हवा में तैर रही थी, "कैसे हो जेम्स?"

"मैं ठीक, लेकिन तुम यहां क्या कर रही हो?"

"तुम्हारा इंतज़ार!" झेंप सी गई मैंडी।

"रीयली!"

अब क्या कहती मैंडी। दोनो साथ साथ चलते पार्क के चक्कर लगाने लगे। अब तक मैंडी ने पार्क की गतिविधियों की ओर ध्यान ही नहीं दिया था क्योंकि उसकी आंखें तो अन्जाने मे जेम्स की प्रतीक्षा जो कर रही थीं। जेम्स के आ जाने के बाद उसकी निगाह पार्क की अन्य गतिविधियों पर भी टिकने लगी। अचानक एक छोटा सा वायुयान जेम्स के पैरों के पास आ कर गिरा। जेम्स चौंका। अपने को बचाता हुआ घबराहट में दो चार कदम पीछे को हटा। इधर उधर देखा। एक काला लड़का हाथ में रिमोट कंट्रोल लिए उनकी तरफ़ बढ़ा आ रहा था, "वट द फ़क्स वाज़ दैट?" जेम्स का गुस्सा उसकी आवाज़ से साफ़ ज़ाहिर था।

उस काले लड़के ने ख़ास जमैकन लहजे में जेम्स को कहा, "सॉरी मैन, आई डिडंट मीन टु हर्ट यू। " और बात को रफ़ा दफ़ा कर दिया।

मैंडी अचानक उत्पन्न हुई स्थिति से गड़बड़ा सी गई थी। उसे डर था कि जेम्स कहीं उस काले लड़के से भिड़ न जाए। कहीं उनकी शाम इस हादसे की भेंट न चढ़ जाए। उसने जेम्स के गुस्से को शांत किया और उसे ले कर आगे को बढ़ गई। अभी तक मैंडी सहज नहीं हो पाई थी। एक वृक्ष की ओट में एक युवा जोड़ा चुम्बन में लिप्त दिखाई दिया। मैंडी के बदन में जैसे सिहरन की एक लहर सी दौड़ गई। अचानक उसके हाथ की पकड़ का दबाव जेम्स के हाथ पर बढ़ गया। जेम्स ने मैंडी की ओर देखा, वह झेंप गई।

दोनों साथ साथ चलते पार्क के उस कोने तक आ गये जिसके साथ कब्रिस्तान सटा था।

"जेम्स, यह जगह रात के वक्त कितनी डरावनी लगती है न?"

'वेल, मुझे तो कभी भी ऐसा नहीं लगा। -- मुझे तो हमेशा ऐसा महसूस होता है कि यहां लोग गहरी नींद में सो रहे हैं। और किसी भी तरह का शोरगुल उनकी नींद में ख़लल नहीं डाल सकता।'

'तुम कभी इस कब्रिस्तान के भीतर गये हो?'

'हां, तीन बार। लेकिन दिन के वक्त। अपनों को गहरी नींद सुलाने।'

'आई फ़ील सो रोमांटिक अबाउट इट! चलो, मुझे भी दिखाओ न।' मैंडी मचल पड़ी।

जेम्स ने विचित्र सी नज़रों से मैंडी को देखा और उसका हाथ पकड़ कर कब्रिस्तान के भीतर हो लिया।

मैंडी अलग अलग कब्रों पर लिखे नाम और इबारतें पढ़ रही थी। कई कब्रें तो सवा सौ साल से भी अधिक पुरानी थीं।--- कहीं फूलों के गुलदस्ते दिखाई दे रहे थे। 'जेम्स क्या वे सभी लोग यहां दफ़न हैं जिनके बारे में यहां लिखा है?'

'नो मैंडी, कभी कभी यहां केवल प्लाक लगा देते हैं। जैसे किसी की मौत समुद्र में हो गई और शव नहीं मिला, तो दफ़न करना संभव नहीं होता न।'

'हाऊ रोमांटिक जेम्स! तुम लोगों में मरने के सैंकड़ों साल बाद भी एक फ़ीलिंग ऑफ़ अटैचमैंट रहती है कि तुम्हारा कोई अपना ज़मीन के इस टुकड़े के नीचे मौजूद है। शायद इसीलिए तुम्हारे यहां आत्मा का कांसेप्ट ज्यादा ऑथेंटिक लगता है। हमारे यहां तो सीधे आग के हवाले कर देते हैं, और दो ही मिनट में सब कुछ जल कर राख!'

जेम्स को जैसे कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था। वह किसी सोच में डूबा था।

मैंडी कभी उस तितली को देखती जो कभी किसी कब्र के फूलों पर जा बैठती कभी किसी पर मंडराने लगती। उसे महसूस हो रहा था कि पिछले जन्म में वह ज़रूर किसी ईसाई परिवार का हिस्सा रही होगी। उसे हमेशा आग से बहुत डर लगता है। कब्र अगर कभी खुदे तो उसके गहनों से कोई भी पहचान सकता है कि यह ख़ूबसूरत गहने पहनने वाली मंदीप कौर ब्रार थी!..'वाऊ! हाऊ ग्रेट!'

'जेम्स तुम जानते हो आगरे के ताजमहल में शाहजहां और मुमताज़ महल एक दूसरे के अगल बगल सो रहे हैं। ... मेकिंग लव इन प्रेज़ेन्स ऑफ़ दीज़ ग्रेट सोल्स मस्ट बी ए ग्रेट फ़ीलिंग!'

जेम्स ने कोई जवाब नहीं दिया, बस उसके हाथ की पकड़ मैंडी के हाथ पर और भी सख्त होती गई।

'जेम्स इट पेंज़, मुझे दर्द हो रहा है।'

जेम्स के चेहरे के भावों पर कोई परिवर्तन नहीं हुआ। अचम्भित खड़ी मैंडी अब डरने लगी थी। उसने जेम्स का ऐसा रूप पहले कभी नहीं देखा था। जेम्स पर जैसे एक वहशत सवार थी। मैंडी ने पाया कि वह चाह कर भी चीख़ नहीं पा रही है। वह प्रयत्न कर रही थी कि जेम्स को धकेल कर परे कर दे लेकिन जेम्स ....!

जेम्स ने अपने बल का प्रयोग कर के मैंडी को पेड़ों के झुरमुटे के नीचे गिरा लिया, और वह स्वयं उस पर सवार हो गया। उसके हाथ मैंडी की स्कर्ट और ब्लाउज़ में घुसते जा रहे थे। मैंडी तकलीफ़ में थी।