जूलियट थॉम्प्सन / बलराम अग्रवाल
1912 का वसंत आते-आते जिब्रान की कलाकृतियों को देखने न्यूयॉर्क की जानी-मानी हस्तियाँ उनके स्टुडियो में आने लगी थीं। उनमें चित्रकार आदिल वॉटसन, मूर्ति-शिल्पकार रोनाल्ड हिन्टन पेरी और कलाओं को प्रोन्नत करने वाले मार्जरी मोर्टन भी शामिल थे। वे सब खलील की कलाकृतियों के मुक्त प्रशंसक बन गए थे। उन्हीं में एक थीं जूलियट थॉम्प्सन (Juliet Thompson), स्नेह से लोग जिन्हें ‘जूलिया’ पुकारते थे। जूलियट का कहना था कि ‘खलील की कृतियाँ उसके हृदय को रुला देती हैं’। ऐसी प्रतिभाशालिनी महिला के मुख से, जिसे एक बार अमेरिकी राष्ट्रपति थॉमस वुडरोव विल्सन (Thomas Woodrow Wilson) का पोर्ट्रेट पेंट करने का सम्मान मिल चुका था, प्रशंसात्मक शब्द सुनकर खलील का खुश होना स्वाभाविक था।
वर्जीनियाई मूल की जूलियट विश्वप्रसिद्ध ईरानी कवि एवं दार्शनिक उमर खैयाम की कृति ‘रुबाइयात’ के अंग्रेजी अनुवादक एडवर्ड फिट्ज़ेराल्ड की रिश्तेदार थी। जूलियट का निवास खलील के स्टुडियो के निकट ही था। उसका करिश्माई व्यक्तित्व सभी उम्र के लोगों को उसके निवास — 48, वेस्ट टेन्थ स्ट्रीट — पर खींच लाता था। उसके पिता राष्ट्रपति अब्राहिम लिंकन के निकट मित्र थे। अपनी खूबसूरती, आकर्षण और कलात्मक उपहारों की बदौलत जूलियट भी व्हाइट हाउस में दाखिला पा गई थी। जूलियट बहाई सम्प्रदाय की अनुयायी थी। खलील भी उक्त समुदाय से काफी प्रभावित थे। जूलियट ने खलील को बहाई सम्प्रदाय के संस्थापक बहाउल्ला की कुछ कृतियाँ भी पढ़ने को दी थीं। इत्तफाक से तत्कालीन बहाई गुरु अब्दुल बहा (बहाई जिन्हें ‘मास्टर’ कहते थे) उसी अप्रैल में न्यूयॉर्क आने वाले थे। जूलियट ने खलील को उनकी एक पेंटिंग बनाने की राय दी।
खलील के लिए यह बेहद सम्मानजनक राय थी। उन्होंने जूलियट से अब्दुल बहा के साथ मीटिंग कराने की बात की और मेरी को लिखा : ‘मैं अब्दुल बहा का चित्र बनाऊँगा। उनका चित्र बनाना मेरी सीरीज़ के लिए उतना ही ज़रूरी है जितना कि रोडन का चित्र बनाना।’( साहित्य, कला, चिकित्सा व दर्शन आदि से जुड़ी हस्तियों को लेकर जिब्रान उन दिनों ‘टेम्पल ऑव आर्ट्स’ नाम से चित्र श्रृंखला बना रहे थे जिसके अन्तर्गत उन्होंने फ्रांसीसी शिल्पकार आगस्टस रोडन, फ्रांसीसी सिने-तारिका सारा बर्नहार्ट, आयरिश कवि डब्ल्यू॰ डी॰ यीट्स तथा अमेरिकी पत्रकार व राजनीतिज्ञ चार्ल्स एडवर्ड रसेल जैसी हस्तियों के पोर्ट्रेट रू-ब-रू बैठकर बनाए थे। ) मेरी ने जवाब दिया: ‘तुम ज़रूर उनका पोर्ट्रेट बनाओगे। वे तुम्हारी इस सीरीज़ के और तुम्हारे महत्व को समझेंगे और उतने ही खुश होंगे जितने तुम हो।’
अब्दुल बहा के साथ खलील की तीन बैठकें हुईं। उन्होंने उनका चित्र बनाया जिसे देखकर बहा ने अरबी में कहा — ‘अच्छा काम वही कर सकते हैं, जो दिल से काम करते हैं। तुम्हारे अन्दर अल्लाह की ताकत है।’
बाद के वर्षों में जूलियट ने खलील की पेंटिंग्स को ‘अलौकिक और काव्यपरक’ बताया। उसने कहा कि ईसा का पोर्ट्रेट ‘जीसस, द सन ऑव मैन’ बनाते समय खलील ने उससे कहा था कि बहाई धर्मगुरु के साथ मीटिंग्स ने उसके इस काम पर सकारात्मक प्रभाव डाला है।