तीसरा खंड / धर्मवीर भारती
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तीसरा खंड
अधूरी है ............................और सुधा का सिर चन्दर की बाँह पर लुढ़क गया-बिनती को नर्स ने सँभाला और डॉक्टर शुक्ला पागल की तरह सर्जन के बँगले की ओर दैाड़े.... घड़ी ने टन-टन दो बजाये....... जब एम्बुलेंस कार पर सुधा का शव बँगले पहुँचा तो शंकर बाबू आ गये थे -बहू को विदा कराने......।