तुमने मुझे देखा होके मेहरबां / माया का मालकौंस / सुशोभित
सुशोभित
बहुत अजब तरह से, भरे दिल और रुंधे गले वाला यह गाना है । गाने के बोल पढ़कर इसका अहसास नहीं होता । वो तो एक दूसरा ही अफ़साना बयां करते हैं। यह कि ये ज़मीं रुक गई है, ये आसमां थम गया है, और कोई दिल के नगर में बसर करने चला आया है, सपनों की गठरी उठाए । गाना कान लगाकर सुनें तो शायद उसकी संगीत-योजना में निहित जैज़ का गाढ़ा विषाद आपको किसी स्तर पर ग्रस ले। उल्लास उसमें मालूम नहीं होता । आप चौंकते हैं कि उदास लगने वाले इस गाने के बोल कुछ और ही क्यों कहानी सुनाते हैं । चित्र देखें तो अलबत्ता मंज़र बिलकुल साफ़ हो जाता है ।
एक संगीन ख़त है, जो लड़के ने लड़की को भिजवाया है । उसमें उसने अपनी असलियत बयां कर दी है। शर्त ये है कि ये ख़त पढ़कर भी अगर तुम आओ तो मानूं कि तुमने मुझको माफ़ कर दिया है । नहीं आओ तो समझ जाऊं कि हमारे रास्ते एक नहीं । महफ़िल सजी है । लड़का बेसब्री से इंतेज़ार कर रहा है । उसके कलेजे में धौंकनी चलती है । लड़की चली आती है, वो ख़ुशी से झूम उठता है। लेकिन लड़की ने अभी तक ख़त पढ़ा नहीं है। ख़त उस तक पहुंचाया भी नहीं गया है। कि ये एक बड़ी गहरी साज़िश है ।
लड़की मेज़ पर आ बैठती है, तब जाकर ख़त उसके सामने नुमायां होता है । पलभर में उसका चेहरा राख के जैसा सफ़ेद पड़ जाता है । लड़के को भला ये कैसे मालूम हो? लड़का गाना गाता है, और उसमें अपने दिल को खोलकर रख देता है । लड़की चुपचाप बैठे सुबकती है । उसकी मेज़ पर जल रही मोमबत्तियां धीरे-धीरे पिघल रही हैं मानो यह होड़ लगाए हों कि देखें किसके पास ज़्यादा मोती दुरकाने को हैं। एक बेपरवाह हरकत से मेज़ पर मोमबत्तियां गिर जाती हैं । ये एक बुरा शगुन है। गाता हुआ लड़का आकर उन्हें ठीक कर देता है, फिर से उनमें लौ लगाता है। लड़की दूसरी तरफ़ देखने लगती है।
लड़के की आवाज़ के दूसरे किनारे गूंज में गुम हो रहे हैं-
" ख़त्म से हो गए / रास्ते सब यहां /
जानेमन जाने जां / तुमने मुझे देखा...”
उसके लिए रास्तों के ख़त्म हो जाने के मायने कुछ और हैं, लड़की के लिए दूसरे । ये दूसरे मायने हम तक पहुंच जाते हैं । हम लड़की के राज़दार हैं । लेकिन लड़का तो इससे बेख़बर! एक झरना टूटकर गिरने को है । हम कलेजा थाम लेते हैं।
गाना ख़त्म होता है। लड़का लड़की के सामने अपने दिल का रुक़्क़ा पढ़ देता है। भरी महफिल में उसे अपनी मंज़िल कहकर पुकारता है । लड़की उसे ठोकर मार देती है। पूरी दुनिया के समाने जिस सितारे को उसे अपना कहना था, पूरी दुनिया के सामने वो सितारा टूट जाता है । रास्ते ख़त्म हो जाते हैं। यहां से लौटने की कोई सूरत नहीं ।
तब इसी लड़की की वो बेतकल्लुफ़ी कितने दूर का तसव्वुर मालूम होता है, जब उसने बड़ी शरारत से शिक़वा किया था - " कि तुम इसपे हो इतराते / के मैं पीछे हूं सौ इल्तिजाएं लिए! "
जीवन की रंगशाला में बहुत जल्द चित्र बदल जाते हैं । जीवन के रंगमंच में बहुत जल्द पटाक्षेप हो जाता है। जिस दिल को आपने सालों-साल इस ऐहतियात से सम्हाले रखा था कि एक दिन किसी को सौंपेंगे, उसी को एक दिन एक वही कुचल देता है । आपका गला रूंध जाता है। यहां से कोई कहां जाए कि एक दिल ही तो घर था । कि अब घर में राख की ढेरी है । कोई कहां जाकर अब मरे, किस अंधकार में रोए, जिसके लिए समुद्र के दूसरे किनारे बहरे हैं ।
इस गाने की शिद्दत ही कुछ वैसी है । रफ़ी साहब की आवाज़ में यहां दुःख का वैसा ही कोई महीन काता गया सूत है । पिघलती मोमबत्ती से होड़ लगातीं आशा पारिख की आंख के आंसू वैसी ही किसी दुनिया के सितारे हैं ।
और शम्मी कपूर है, जो इससे पहले कभी सिनेमा के परदे पर इतना उत्कट, इतना निष्कवच, इतना चाकजिगर नज़र नहीं आया था, जैसा यहां दिखलाई देता है । ये शम्मी कपूर को इस गाने में क्या हो गया है ? ये गाना उसके साथ वैसा बर्ताव क्यूं करता है? ये तो बहुत बाद में मालूम हुआ कि उन दिनों शम्मी कपूर गीता बाली के सोग़ में था। वो वैनिटी वैन में बैठकर रोता रहता । उसके चेहरे की सुर्खी धुल जाती। दो गीली लकीरें उसके गालों पर उभर आतीं । ये दुनिया की सबसे पुरानी और सबसे सदाबहार दो नहरें थीं ।
और केवल गूंज में गूमती हुईं ये सतरें ही बाक़ी रह जाना थीं-
“लेकर ये हसीं जलवे
तुम भी ना कहां पहुंचे
आख़िर को मेरे दिल तक
क़दमों के निशां पहुंचे
ख़त्म से हो गए
रास्ते सब यहां ! "
जिन रातों को मेरा रोने का दिल करता है, तब टूटे दिल वाले शम्मी कपूर का यह गाना चला देता हूं। और देर तक सोचता हूं - जिस गीत के बोल में प्यार का हासिल था, उसकी धुन में इतना सारा दुःख भला किस अचरज से चला आया था?