दराबा / जयप्रकाश चौकसे / पृष्ठ-1

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भूमिका
जयप्रकाश चौकसे

उपन्यास में एक व्यापारी परिवार पर फोकस किया गया है जो मूलतः हलवाई है। इस हलवाई परिवार के बालक महेश ने दराबा नामक नई मिठाई को जन्म दिया था। इस दुकान का नाम महेश एंड संस था। कालांतर में महेश एंड संस की विभिन्न शाखाएँ-प्रशाखाएँ विकसित हुई जो बदल रहे समाज की विभिन्न गलियों में ले जाती हैं।

जयप्रकाश चौकसे ने उपन्यास की भूमिका में लिखा है-

'दराबा सत्य है। बुरहानपुर संपूर्ण सत्य है और एक मिठाई की दुकान की कहानी कहते समय समाज में आए परिवर्तन भी सच हैं। केले के पत्ते पर मिठाई परोसने से लेकर जर्मन सिल्वर, स्टेनलेस स्टील और पोर्सलीन तक के परोसने के बर्तन समाज के परिवर्तन को ही प्रस्तुत करते हैं।'