नागिनी / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल / पृष्ठ 1
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‘नागिनी ’का परिचय
यह चन्द्रकुंवर की गद्यकृति है जिसमें उनके निबंध कहानी तथा पं0सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ को प्रेषित चन्द्रकुंवर के पत्र संकलित हैं। कवि के मित्र पं0 शम्भू प्रसाद जी वहुगुणा द्वारा उनकी एक श्रेष्ठ कहानी के नाम पर इस संकलन का नाम नागिनी रख दिया गया है। नगिनी, कहानी के अतिरिक्त केदार नाथ की यात्रा, बद्रीनाथ यात्रा, होली का राजकुमार आदि निबन्ध भी इसमें संग्रहीत हैं।
‘हिलांस’ पत्रिका के अगस्त 1980 अंक में ई0 मैसी द्वारा प्रकाशित लेख में ‘नागिनी’ के संबंध मंे अंकित है-
‘श्री चन्द्र कुंवर ने अपनी कहानियों में जीवन के प्रत्येक पहलू पर दृष्टि डाली हैं। नागिनी कहानी कवि के हृदय की निकटतम वस्तु है। असमें हृदय की मूक भाषा के स्वर विद्यमान हें। श्राी चन्द्र कुंवर जी की कहानियों और निबन्धों में एक विशेष आकर्षण है। इन्हेांने अपने जीवन में घटित घटनाओं को विशेष आश्रय अपनी रचनाओं में दिया है। केदार नाथ की यात्रा, बद्रीनाथ यात्रा, होली का राजकुमार आदि सब इनके अपने अनुभव हैं। इस कारण से ये निबन्ध मनुष्यों को विशेष रूप से आकर्षित करते है।
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