न उनकी महफ़िल सजी, न ताला खुला… / आरती अग्रवाल

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
[[आरती अग्रवाल, उम्र 22 साल। आरती अग्रवाल, जन्म 1996 , ‘अंकुर- कलेक्टिव ‘की नियमित रियाज़कर्ता। उनके लेखन के कुछ टुकड़े ‘फर्स्ट सिटी‘, ‘हंस’ और ‘अकार ‘ में प्रकाशित।]]

स्कूल का मेन गेट नीले रंग से रंगा है। सुबह के छह बजे वह खुलकर सभी बच्चों के आने का इंतज़ार करने लगता है। हर बच्चा उससे होता हुआ स्कूल में दाख़िल हो जाता है।

चौकीदार सभी बच्चों को गेट से अन्दर करते हुए कह रहे हैं, “सभी अंदर जाओ, अपने बैग क्लास रूम में रख कर आओ, अभी कुछ देर मे घंटी बजने वाली है। जल्दी से सभी प्रेयर ग्राउंड में इकट्ठा हो जाओ, नहीं तो मैडम डाटेंगी।” वह अपनी कुर्सी से उठा और एक कदम आगे बढ़कर सिर झुका कर मैडम को नमस्ते बोला, सामने से आती हरे रंग की बुटेदार साड़ी पहने प्रिंसिपल ने सिर हिलाते हुए कहा, “बलराज टाईम हो गया है। घन्टी बजा दो।” वह सुनते ही ‘अच्छा जी, अच्छा जी’, कह उस तरफ दौड़ गया।

बच्चों का एक समूह दीवार के एक कोने से छुप-छुपकर, पता नहीं किसे देख कर भाग रहा है। कुछ लड़कियां समूह में खड़ी बातें कर रही हैं, “ये सुमन आज फिर नहीं आई, उसने तो लेट आने का रिकॉर्ड बना लिया है।” तभी काजल बोली, “ऐसे मत बोल, किसी की मजबूरी समझनी चाहिये, उसकी मम्मी बाहर काम करने जाती है। जब उसके पापा ठीक थे तब तो वह समय से पहले ही आ जाती थी।”

तभी प्रेयर की घन्टी बज उठी। काजल बोली, “आज तो हमें ही लेट वालों को पकड़ना है।” वह वहां से खिसक कर गेट के पास आ खड़ी हुई, स्कूल की घन्टी बज उठी। जिस-जिस को जहां भी सुनाई दे रही है, वह वहीं से दौडता हुआ, प्रेयर ग्राउंड में पहुंचने की हड़बड़ी में है। स्टूडेंट सड़क से भाग कर मेन गेट तक पहुंचना चाह रहा है कि स्कूल का खुला हुआ गेट कहीं बन्द न हो जाए। जो लड़कियां लेट वालों को पकड़ने के लिए खड़ी है, उनमें से एक ने गेट से झांकते हुए जोर से आवाज़ लगाई, जल्दी भागो प्रेयर शुरू होने वाली है। यह सुनते ही सड़क से आते हुए बच्चों ने दौड़ लगानी शुरू कर दी।

सभी भागते हुए गेट के अन्दर आकर अपनी-अपनी क्लास की लाईन में लग गए। तभी स्कूल के चौकीदार आए और गेट बन्द करने लगे। जो बच्चे कुछ दूर थे वे भी भाग कर गेट के अन्दर आ गए। तभी पीटी वाली मैडम ने सीटी बजाते हुए, इशारा से कह रही थी कि अब जो आएगा वह लाईन मे नहीं लगेगा।

उनका इशारा पाते ही गेट पर खड़ी लड़कियां में से एक बोली, ये तो बहुत बनती है, अभी तो टाईम है। तभी काजल चुटकी लेते हुए बोली, “देख निशा मैडम आ रही है इन्हें रोक लूं।” तभी दीपा बोली, “इससे तो 50 रूपये फाइन लेंगे।” सभी हाथ उठा कर एक दूसरे को ताली देकर हंसने लगी। लेट वाली लाइन में खड़े सभी बच्चे भी दबे स्वर में बोले, “इन्हें भी तो हमारे साथ खड़ा होना चाहिये।” सभी ठहाका मार कर हंसने लगे।

तभी काजल बोली, “यार अच्छा हुआ कि हमारी ड्यूटी यहां लगी है, नहीं तो प्रार्थना में बोर हो जाते।” अभी उसकी बात खत्म भी नहीं हुई थी कि तभी मोटर साईकिल की आवाज ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। एक साथ सभी एक-दूसरे से बोल उठीं, तेरा बॉयफ्रेंड है, तुझसे मिलने आया है। सभी ठहाका मार कर हंसने लगती हैं।

उधर प्रार्थना में पीछे की लाइन वाले बच्चे एक दूसरे को नोच-नोच कर चुप खड़े हैं। आगे के बच्चे आंख बन्द कर ऊंचे स्वर मे प्रार्थना गाए जा रहे हैं। मैडम भी अपनी बातों में मशरूफ हैं। किसी का भी ध्यान प्रार्थना में नहीं है। जैसे ही प्रार्थना खत्म हुई और पूरा ग्राउंड ड्रम की आवाज से गूंज गया।

लेटकमर बच्चे ड्रम के बजते ही नाचने वाले एक्शन करने लगे। तभी काजल बोली, “सुमन तुझे तो खूब अच्छा डांस आता है, तू डांस कर हम तेरा नाम मैडम को नहीं देंगे, कह देंगे कि तुम हमारे साथ ड्यूटी पर थी।” सुमन ने फटाक से कहा, “सच?” और दीपा ने कहा, “हाँ- हाँ।”

पास खडी और लड़कियों ने भी कहा, “अगर हम आपको डान्स करके दिखायेंगे तो क्या हमें भी छोड़ दोगे?” काजल ने हाथ को हवा में लहराते हुए कहा, “भई ये तो डांस देखने के बाद ही बता सकते हैं।” सुनते ही सभी ठहाका मार कर हंसने लगे। तभी सीटी की आवाज सुन सभी सीटी की तरफ देखने लगे और उनकी महफिल यहीं खत्म हो गई। सभी मुंह लटकाए मैडम की तरफ चल दिए। गेट बन्द हो चुका था और गेट से खुलते एक छोटे गेट पर ताला लग चुका था।