प्रकाशक का वक्तव्य / दिनकर कुमार

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प्रकाशक (प्रिंट मीडिया, उषा पब्लिकेशन) का वक्तव्य

बचपन से ही मुझे साहित्य कला, सिनेमा आदि में व्यापक रूचि रही है शायद इसी के परिणाम स्वरूप दिनकर जी के सहयोग से कालेज में ‘अपवाद' नामक एक पृष्ठीय पत्रिका का पदार्पण हुआ। भविष्य में इस आशा के साथ की अपवाद एक अपवाद नहीं रहेगा, हमने साहित्य के सफर में एक अंग्रेजी पत्रिका ‘क्रानिस इन्टरनेशनल' को भी प्रकाशित किया। यद्यपि साहित्य की इस अनोखी और दिल लुभाने वाले अनुभव ने इस क्षेत्र में आगे बढने के लिए प्रेरित किया किंतु पारिवारिक जिम्मेदारियों में उलझकर इसमें एक विराम चिह्न लग गया।

परंतु बचपन के सखा दिनकर जी ने फिर इस पुस्तक को प्रकाशित करने का अनुरोध किया तो अनायास ही सोया हुआ वह साहित्य प्रेम फिर उभर कर एक बार सतह पर आ गया। हालांकि यह अब मैं अच्छी तरह समझ चुका था कि इस तरह का प्रयास आर्थिक रूप से कोई लाभ नहीं लाएगा परंतु यह एक व्यवसाय ही तो नहीं है, वरना प्रेमचन्द जी, फणीश्वर नाथ रेणु आदि अनेक साहित्यकार अतिधनाढ्य होते।


खैर भूपेन हजारिका जी किसी भी परिचय के मोहताज नहीं है। मां कामाख्या व ब्रह्मपुत्र के इस विलक्षण कलाप्रेमी को सारा देश जानता है। बचपन में एक बार इनसे मिलने का मौका मिला तो इन्होंने गले लगाकर मानो मुझमें अपनी अमिट छाप का एक अंश छोड दिया। यह दृश्य व चित्र मैं अपनी आंखों में हमेशा छिपाए रखता हूं।

संगीत, गायन व गीत रचना, वह भी इतनी स्मरणीय, संवेदनशील व कर्णप्रिय यह भूपेनदा का अपना अनोखा अंदाज हैं। लोगों के दिल में भूपेनदा का गीत ‘दिल हुम हुम करे' बस गया। परंतु मैं तो उसी दिन उनका भक्त हो गया जब इनका संगीतबद्घ किया हुआ गीत आरोप फिल्म में ‘नयनों में दरपन है, दरपन में कोई' सुना। सच में भूपेनदा असम के गौरव हैं, इनके व्यक्तित्व के कुछ अनछुए पहलुओं के बारे में इस पुस्तक को प्रकाशित करते हुए मैं गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। भगवान उन्हें स्वस्थ रखे और वे अपनी धुनों से हमें सदा रिझाए रखें, इसी आशा के साथ... आशा है यह आपको पसंद आएगी, कृपया अपने सुझावों से हमें अवगत कराएं। अतः इस महान हस्ती भूपेनदा को मेरा एक बार फिर ‘सलाम'।


उषा पब्लिकेशन की पहली प्रस्तुति हिंदी में प्रथम प्रकाशित भूपेनदा के व्यक्तित्व पर पुस्तक, आफ आशीर्वाद, प्रेरणा, सहभागिता की अपेक्षा करेगी ताकि भविष्य में भी अन्य साहित्य के नगीने आफ समक्ष प्रस्तुत कर सकें।

-अजय चोखानी

रचना=दिनकर कुमार

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