प्रेरक प्रसंग-2 / विनोबा भावे
Gadya Kosh से
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एक गांव का जमींदार बिनोवा भावे जी से मिलना टालता रहा । किसी ने पूछा तो कहने लगा मिलूंगा तो वे जमीन मांगेंगे और मुझे देनी पडेगी । उससे पूछा गया किे ऐसा क्यों ? तुम अपनी जमीन नहीं देना चाहते हो तो मत देना कह देना नहीं दे सकता। इसमें कोई जबर दस्ती थोडी है। बिनोवा जी केवल प्रेम से ही तो जमीन मांगते हैं। अब वे जमींदार बोले - 'अरे वही तो सबसे बडी ताकत है न? वे प्रेम से मांगते हैं और उनकी बात सही है इसलिये उनको टाला नहीं जा सकेगा।' बिनोवा के कानों तक जब यह बात पहुंची तो वे बोल उठे - 'बस उसकी जमीन मुझको मिल गयी। हमारा उद्देश्य भूदान के माध्यम से सामन्तवादी विचारों को ही तो समाप्त करना है ना। '