प्रेरक प्रसंग-4 / जवाहरलाल नेहरू
Gadya Kosh से
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तभी न जाने कहां से एक बूढ़ी महिला भीड़ को चीरती हुई उनकी कार के पास आई और हाथ उठाकर जोर-जोर से पुकारने लगी,
'अरे ओ जवाहर। रुक जा, खड़ा तो रह। तू कहता है न कि आजादी मिल गई है, लेकिन आजादी है कहां? किसको मिली है? हां, शायद तुझे मिली हो क्योंकि तू है जो मोटर में घूम रहा है। मेरे लड़के को तो एक नौकरी तक नहीं मिल रही। कहां है आजादी, बता?'
वृद्धा को देखकर नेहरू जी ने फौरन गाड़ी रुकवाई और नीचे उतरकर उस बुढ़िया के पास गए और हाथ जोड़कर कहा,
'मां जी, आप कहती हैं कि आजादी कहां है? जहां आप अपने देश के प्रधानमंत्री को 'तू' कहकर पुकार सकती हैं, उसे डांट सकती हैं, क्या यह आजादी नहीं है? क्या पहले ऐसा था? नहीं न। आप बेहिचक चली आईं हमारे पास अपनी शिकायत रखने। यही तो आजादी है। आपकी शिकायत पर ध्यान दिया जाएगा।'