फ़िरोज़शाह मेहता उद्यान / संतोष श्रीवास्तव
फ़िरोज़शाह मेहता उद्यान... किसी ज़माने में फ़िल्मों की शूटिंग का केन्द्र था
मालाबार हिल हैंगिंग गार्डन के लिए प्रसिद्ध है। अब इसका नाम बदलकर सर फ़िरोज़शाह मेहता उद्यान रख दिया गया है। यहाँ से मुम्बई को पानी भी सप्लाई किया जाता है। इस उद्यान के पेड़, क्रोटन आदि जानवरों की शक्ल में कुछ इस अंदाज़ से काटे गये हैं कि वे अधर में लटके जान पड़ते हैं। यहाँएक फ्लावर क्लॉक भी है और जूते के आकार का शू गार्डन भी है जो बच्चों के चढ़ने, उतरने, फिसलने वाला घर है। यहाँ खड़े होकर सामने सागर में डूबते सूरज को देखना बेहद सुहावना लगता है। सूर्य के डूबते ही यू शेप में समुद्र को घेरे हीरे-सी जगमगाती रोशनियों वाला क्वीन्स नेकलेस समुद्र के काले दिखते पानी को स्वप्निल बनाता है। नीचे समँदर तक जाने के लिए हरा भरा सीढ़ियों दार रास्ता भी है जहाँ ऊँचे-ऊँचे दरख़्त लगे हैं। नीचे खड़े होकर देखो तो हैंगिंग गार्डन सचमुच अधर में लटका नज़र आता है।
हैंगिंग गार्डन के सामने कमला नेहरु पार्क है। यह 1952 में बनाया गया और यह थोड़ी ढलान पर है। यहाँ एक बाल उद्यान भी है। यहाँ से भी मरीन ड्राइव का शानदार व्यू दिखता है। कई फ़िल्मों की शूटिंग यहाँ हुई है। इसका सौ डेढ़ सौ बोन्साई पेड़ों का बेहद खूबसूरत उद्यान भी पर्यटकों को लुभाता है।
हैंगिंग गार्डन से नीचे उतराई पर की सड़क पार करते ही सामने प्रियदर्शिनी पार्क है। ठाठेंमारता समँदर अपने रेतीले किनारे और उस पर लगे नारियल, नीलगिरी आदि के वृक्षों का सुन्दर कोलाज रचता है। मन करता है घंटों वहीं गुज़ारें, समँदर के इस खूबसूरत आमंत्रण पर टकटकी-सी बँध जाती है। समँदर की विशाल फैली भुजाओं में सिमटी मुम्बई किसी अभिसारिका-सी सदियों से न जाने कितने उतार चढ़ाव देख चुकी है। लोग इसे 'माझी लाडकी' , 'मेरी जान' जैसे विशेषणों से नवाज़ते हैं... लोग अन्य प्रदेशों से यहाँ कुछ पाने की चाह में आते हैं... पर...
यहाँ मिलता है सब कुछ / इक मिलता नहीं दिल / इक चीज़ के हैं कई नाम यहाँ / ज़रा हट के, ज़रा बच के, ये है बॉम्बे मेरी जान। लो मैं तो प्रियदर्शिनी पार्क घूमते-घूमते ब्लैक एंड व्हाइट ज़माने में पहुँच गई... क्या करूँ... " लौट जाती है उधर को भी नज़र क्या कीजे.