फिल्म कुरुक्षेत्र में 'ब्रह्मास्त्र' / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 06 मार्च 2019
अयान मुखर्जी, अमिताभ बच्चन, रणवीर कपूर एवं आलिया भट्ट अभिनीत 'ब्रह्मास्त्र' बना रहे हैं, जिसकी शूटिंग तीव्र गति से हो रही है। कुछ समय पूर्व सारी रात शूटिंग की गई। अमिताभ बच्चन के लिए रतजगा ठीक नहीं है। अमिताभ बच्चन की दृढ़ इच्छाशक्ति ही उन्हें अभिनय के 49वें वर्ष में सबसे अधिक अनुशासित व समय पूर्व स्टूडियो पहुंचने वाला विरल सितारा बनाती है। उन्हें नाश्ते, दोपहर और रात के भोजन के साथ दवाएं लेनी होती हैं।
भोपाल में रहने वाले शिवदत्त शुक्ला एक मानव आकृति पेंट कर रहे हैं। शरीर में मसल्स की जगह टैबलेट्स और कैप्सूल पेंट कर रहे हैं और शिराओं में रक्त की जगह सिरप होगा। इस पेंटिंग का अमिताभ बच्चन से कोई संबंध नहीं है। ज्ञातव्य है कि इंद्र ने ब्राह्मण का भेष धारण करके सूर्य पुत्र कर्ण से उनके कवच कुंडल मांग लिए थे और ब्रह्मास्त्र का वरदान दिया था। क्या कर्ण जैसा गुणी व्यक्ति भेष बदले हुए इंद्र को पहचान नहीं पाया? वेदव्यास रचित इस महाकाव्य के सारे पात्र सबकुछ जानकर अनजान बने रहते हैं। संभवत: इसे जानते हुए ही महान कवि टीएस एलियट ने लिखा, 'दे नो एंड यट डू नॉट नो/ देट इट इज द फूल हू थिंक्स देट दे डू नॉट नो/ द मैन इज ए स्माल पार्ट ऑप द व्हील विच मूव्ज़ एंड द फूल थिंक्स ही इज़ मूविंग इट।' इसका सरल अनुवाद होगा, 'वह मूर्ख होगा जो समय चक्र का छोटा पुर्जा होते हुए यह दंभ करे कि वह चक्र चला रहा है।'
ज्ञातव्य है कि टीएस एलियट के पिता अमेरिका में संस्कृत भाषा के शिक्षक थे और स्वयं एलियट इस भाषा के पंडित थे। टीएस एलियट ने अपने 'वेस्टलैंड' में कहीं भी गैंगीज नहीं लिखते हुए गंगा ही लिखा है और हिमालय न लिखते हुए हिमवत लिखा है। ज्ञातव्य है कि ब्रह्मास्त्र केवल एक बार चलाया जा सकता है। गणतंत्र व्यवस्था में ब्रह्मास्त्र आम मतदाता के हाथ में है, जिसे वह हर पांच वर्ष में चला सकता है। ग्राम पंचायत, नगर निगम, विधानसभा और लोकसभा के लिए चुनाव होते हैं। यह भी संभव है कि मतदाता की उंगली पर लगाया गया निशान मिटे नहीं और अगला चुनाव आ जाए। उसकी सारी उंगलियों पर चुनाव की स्याही लग जाए तो उसे अंगूठे से काम लेना पड़े। इस माहौल में पढ़ा-लिखा व्यक्ति ही अंगूठा छाप हुआ जा रहा है। अयान मुखर्जी फॉर्मूला मसाला फिल्म के आदिगुरु शशधर मुखर्जी के पोते हैं और उनके परममित्र रणवीर कपूर राज कपूर के पोते हैं। मुखर्जी फिल्म पाठशाला और कपूर फिल्म घराने में कुछ भी समान नहीं था। कपूर सामाजिक सौद्देश्यता की फिल्म रचते थे और मुखर्जी का विश्वास था कि दर्शक को केवल मनोरंजन प्रदान किया जाना चाहिए। वे फिल्म को पाठशाला बनाए जाने के सख्त खिलाफ रहे। इस पृष्ठभूमि के बावजूद अयान मुखर्जी और रणवीर कपूर गहरे दोस्त हैं। प्रतिदिन दोपहर अयान मुखर्जी कपूर निवास पहुंचते हैं और अलसभोर में मित्र को छोड़कर अपने घर लौटते हैं। अयान मुखर्जी और रणवीर कपूर ने 'वेक अप सिड' तथा 'ये जवानी है दीवानी' बनाई। 'ब्रह्मास्त्र' उनका तीसरा युगल प्रयास है। अब तक की सारी फिल्म सफल रही है। रणवीर कपूर लगभग एक माह अमेरिका में रहे, जहां उनके पिता ऋषि कपूर का इलाज चल रहा है। आलिया भट्ट और अयान मुखर्जी ऋषि कपूर को मिलने अमेरिका गए थे। केवल अयान मुखर्जी ही यह बता सकते हैं कि दीपिका और रणवीर तथा रणवीर एवं कटरीना कैफ का ब्रेकअप क्यों हुआ? इन दोनों की मित्रता का यह हाल है कि अयान मुखर्जी की जीवन कथा रणवीर कपूर और रणवीर की बायोग्राफी अयान मुखर्जी लिख सकते हैं।
जब इस फिल्म का प्रदर्शन विदेश में होगा तब प्रवासी भारतीय दर्शक को टाइटल के संदर्भ को समझने में परेशानी हो सकती है। उन्हें भारत छोड़े अरसा हो गया है। एक लोकप्रिय तर्कहीन बात यह है कि घर में रामायण रखना चाहिए परंतु महाभारत रखना अपशकुन हो सकता है। कहा जाता है कि कुरुक्षेत्र में युद्ध के पश्चात यह पाया गया कि चौबीस हजार एक सौ बयालीस लोग लापता रहे। इसका अर्थ यह है कि आंकड़ों के प्रति हमारा मोह हमेशा रहा है। श्रीकृष्ण के भाई बलराम ने तो युद्ध में भाग लेना अस्वीकार किया था और हिमवत चले गए थे। ये चौबीस हजार एक सौ बयालीस वे लोग हैं, जो युद्ध में शामिल माने गए परंतु लापता रहे। शवों की शिनाख्त में भी नहीं पाए गए। अनुमान है कि ये ही लोग अन्य देशों में बस गए और वर्तमान के अप्रवासी उन्हीं की संताने हैं। 'पाखी' के ताज़ा अंक में प्रकाशित मेरी कथा कुरुक्षेत्र की कराह / जयप्रकाश चौकसे में इनका विवरण है।