मनुष्य और मत्स्यकन्या / अभिज्ञात / पृष्ठ 4

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वह दिन भी आया जब मत्स्यकन्या दुनिया के रू ब रू थी। प्रेस कांफ्रेंस की गयी थी जहां मत्स्यकन्या ने भी मीडिया को सम्बोधित किया था और उसका इलाज करने वाले डॉक्टर व उसके दल ने। उस अडिगा कम्पनी के प्रतिनिधियों ने भी जिन्होंने इस पूरे खर्च को प्रयोजित किया था। उसने सौ करोड़ से अधिक झोंक दिये थे मत्स्यकन्या को इन्सान बनाने में। यह चिकित्सा जगत का करिश्मा था। इस उपलब्धिपूर्ण कार्य के लिए डॉक्टर वेल्स को अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार की भी चर्चा थी। दुनिया के कई देशों ने उन्हें अपनी ओर से पुरस्कृत करने की घोषणा की थी। भारत के गृहमंत्रालय के प्रतिनिधि भी वहां उपस्थित थे जिन्होंने इस कार्य के लिए सबको बधाई दी थी। वहां अम्बर भी पहुंचा था जिसके प्रति सबने आभार जताया था कि यह उसके सहयोग के कारण ही संभव हुआ है लेकिन अम्बर सदमे की हालत में था। वहां उसी वक्त उसे पता चला था कि आपरेशन के कारण कुछ ऐसे काम्प्लीकेशंस पैदा हुए कि मत्स्यकन्या की याददाश्त जाती रही। अब वह यह पूरी तरह से भूल चुकी है कि वह कभी मत्स्यकन्या थी। और वह अम्बर को भी नहीं पहचान पायी। अम्बर जैसे अपनी पूरी दुनिया हारकर लौट आया था। वह कैसे कहता और किससे कि वह मत्स्यकन्या से प्यार करता है और वह भी उसके साथ अपनी ज़िन्दगी गुज़ारना चाहती थी। --

इधर मत्स्यकन्या के स्टेम सेल की सहायता से इनसान बनाने की चर्चाओं के बीच नये राष्ट्रपति ने जो सबसे पहला काम किया वह था एम्ब्रियॉनिक (भ्रूण जनित) स्टेम सेल रिसर्च पर नैतिकता का वास्ता देकर लगाए गए प्रतिबंध को हटाना। भारत में इस तरह के शोध से जुड़े संगठनों का कहना था कि किसी भी राजनीतिक दल के एजेंडे में अगर स्टेम सेल रिसर्च की नीति की चर्चा नहीं है तो वह घोषणा पत्र बेकार है। रोगों से लड़ने की रणनीति का लक्ष्य आतंकवादियों से लड़ने के लक्ष्य से कहीं ज्यादा महत्त्वपूर्ण है।


मत्स्यकन्या के चर्चे इतने बढ़े कि उसके नाम पर तमाम उत्पाद बाज़ारों में बिकने लगे। वह स्टेम सेल की एम्बेसडर बना दी गयी थी। जिस कम्पनी ने उसके चिकित्सा खर्च को वहन किया थाþ स्टेम सेल इलाज से जुड़ी तमाम योजनाओं में किसी न किसी रूप में उसे जोड़ दिया। मनुष्य के आविष्कार की नया प्रतीक थी। मत्स्यकन्या* न सिर्फ़ उसके जीवन पर बल्कि उसे बतौर नायिका लेकर भी फिल्में बनी जिन्होंने सफलता के कई कीर्तिमान बनाये। उसे लेकर आयोजित कार्यक्रमों में लोगों की भीड़ उमड़ने लगी थी और हजारों के टिकटें बिकते। विज्ञापन की दुनिया की वह सबसे महंगी मॉडल थी। उस हास्पिटल की साख और बढ़ गयी जिसने उसका आपरेशन किया था। अम्बर यह खबरें टीवी पर देखता, अखबारों पत्रिकाओं में पढ़ता और अपने टूटे दिल को तसल्ली देने की कोशिश करता कि कभी न कभी उसकी याददाश्त वापस आयेगी। अम्बर अब तैराकी की दुनिया का एक गुम होता सितारा था। अभ्यास लगभग छूट गया था। और जब जब भी उसे मत्स्यकन्या की याद आती वह समुद्र में दूर तक और देर तक तैरता। इस तरह अपना दर्द समुद्र से बांटता। जैसे समुद्र के जल को वह जीवन की व्यथा समझाना चाहता हो। यह तो वह है जिससे वह होश संभालते ही जुड़ा रहा।

उस दिन वह अपना मोबाइल फ़ोन अपने बंगले ही भूलकर बाहर निकल गया था। कार में बैठा तो याद आया। ड्राइवर को भेजकर फ़ोन मंगवाया। फ़ोन जब उस तक पहुंचा तो पाया कि एक वाइस मैसेज है। सुना तो सन्न रह गया। मैसेज़ मरमिड का था, उसने कहा था,

प्रिय अम्बर,

मैं कोई मत्स्यकन्या नहीं हूं। यह एक अंतराष्ट्रीय कम्पनी की साजिश है। मुझे मत्स्यकन्या के तौर पर जानबूझ कर तुम्हारे सामने समुद्र में लाया गया और फिर साजिश के तहत ही पूरी दुनिया में तुम्हारे जरिये यह बात फैलाई गयी। मेरा कोई आपरेशन हुआ ही नहीं। मुझे एक खास टेक्नीक से चर्चित किया गया और फिर मेरा व्यवसायिक इस्तेमाल किया जा रहा है। हास्पिटल चर्चित हुआ, डॉक्टर वेल्स को अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाया गया और मुझे लेकर हिट फिल्में बनायी गयीं, मुझसे मॉडलिंग कराकर करोड़ों कमाये जा रहे हैं। मैं पूरी तरह से कैद में हूं। मैं शुरू से ही एक सामान्य इन्सान हूं जिसकी याददाश्त कभी नहीं गयी। मैं अनचाहे ही तुमसे प्यार करने लगी थी और अब भी करती हूं। लेकिन मुझे तुम्हें भूलना ही होगा और तुम्हें मुझे वरना न तुम बचोगे न मैं।

तुम्हारी

जलपरी