रसीदी टिकट / अमृता प्रीतम / पृष्ठ 1

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पिछला भाग >>

पहला भागः-खंडः- ऐक

--इन वर्षो की राह में, दो बडी घटनायें हुई। एक- जिन्हें मेरे दुःख सुक्ष से जन्म से ही संबंध था, मेरे माता पिता, उनके हाथों हुई। और दूसरी मेरे अपने हाथों । यह एक-मेरी चार वर्ष की आयु में मेरी सगाई के रूप में, और मेरी सोलह सत्तरह वर्ष की आयु में मेरे विवाह के रूप में थी। और दूसरी- जो मेरे अपने हाथों हुई- यह मेरी बीस-इक्कीस वर्ष की आयु में मेरी एक मुहब्बत की सूरत में थी।--


(उपन्यास का कापीराइट प्रकाशक राजकमल पेपरबैक्स के अधीन सुरक्षित होने के कारण समीक्षा स्वरूप प्रत्येक भाग का कुछ अंश ही सम्मिलित किया गया है। संकलनकर्ताः-डा0 अशोक कुमार शुक्ला)

अगला भाग >>