संभोग से समाधि की ओर / ओशो / पृष्ठ 43
सेक्स से संबंधित किसी नैतिकता का कोई भविष्य नहीं है। सच तो यह है कि सेक्स और नैतिकता के संयोजन ने नैतिकता के सारे अतीत को विषैला कर दिया है। नैतिकता इतनी सेक्स केंद्रित हो गई कि उसके दूसरे सभी आयाम खो गये—जो अधिक महत्वपूर्ण है। असल में सेक्स नैतिकता से इतना संबंधित नहीं होना चाहिए।
सच, ईमानदारी, प्रामाणिकता, पूर्णता—इन चीजों का नैतिकता से संबंध होना चाहिए। चेतना, ध्यान, जागरूकता, प्रेम, करूण—इन बातों का असल में नैतिकता से संबंध होना चाहिए।
लेकिन अतीत में सेक्स और नैतिकता लगभग पर्यायवाची रहे है; सेक्स अधिक मजबूत, अत्यधिक भारी हो गया। इसलिए जब कभी तुम कहो कि कोई व्यक्ति अनैतिक है तब तुम्हारा मतलब होता है, कि उसके सेक्स जीवन के बारे में कुछ गलत है। और जब तुम कहते हो कि कोई व्यक्ति बहुत नैतिक है, तुम्हारा सारा अर्थ यह होता है, कि वह सभी नैतिकता एक आयामी हो गई; यह ठीक नहीं था। ऐसी नैतिकता का कोई भविष्य नहीं है, वह समाप्त हो रही है। वास्तव में यह मर चुकी है। तुम सिर्फ लाश को ढो रहे हो।
सेक्स तो आमोद-प्रमोद पूर्ण होना चाहिए। न कि गंभीर मामला जैसा कि अतीत में बना दिया गया। यह तो एक नाटक की तरह होना चाहिए, एक खेल कि तरह: मात्र दो लोग एक दूसरे की शारीरिक ऊर्जा के साथ खेल रहे है। यदि वे दोनों खुश है, तो इसमें किसी दूसरे की दखल अंदाजी नहीं होनी चाहिए। वे किसी को नुकसान नहीं पहुंचा रहे। वे बस एक दूसरे की ऊर्जा का आनंद ले रहे है। यह ऊर्जाओं का एक साथ नृत्य है। इसमें समाज का कुछ लेना देना नहीं है। जब तक कि कोई एक दूसरे के जीवन में नुकसान न दें। अपने को थोपे, लादे, हिंसात्मक न हो, किसी के जीवन को नुकसान न पहुँचाए, तब ही समाज को बीच में आना चाहिए। अन्यथा कोई समस्या नहीं है; इसका किसी तरह से लेना देना नहीं होना चाहिए।
सेक्स के बारे में भविष्य में पूरा अलग ही नजरिया होगा। यह अधिक खेल पूर्ण, आनंद पूर्ण, अधिक मित्रतापूर्ण, अधिक सहज होगा। अतीत की तरह गंभीर बात नहीं। इसने लोगों का जीवन बर्बाद कर दिया है। बेवजह सरदर्द बन गया था। इसने बिना किसी कारण—ईर्ष्या, अधिकार, मलकियत, किचकिच, झगड़ा, मारपीट, भर्त्सना पैदा की।
सेक्स साधारण बात है, जैविक घटना मात्र। इसे इतना महत्व नहीं दिया जाना चाहिए। इसका इ तना ही महत्व है कि ऊर्जा का ऊर्ध्वगमन किया जा सके। यह अधिक से अधिक आध्यात्मिक हो सकता है। और अधिक आध्यात्मिक बनाने के लिए इसे कम से कम गंभीर मसला बनाना होगा।
सेक्स से संबंधित नैतिकता के भविष्य को लेकर बहुत चिंतित मत होओ, यह पूरी तरह से समाप्त हो जाने वाला है। भविष्य में सेक्स के बारे में पूरी तरह से नया ही दृष्टिकोण होगा। और एक बार सेक्स का नैतिकता से इतना गहरा संबंध समाप्त हो जायेगा। तो नैतिकता का संबंध दूसरी अन्य बातों से हो जायेगा जिनका अधिक महत्व है।
सत्य, ईमानदारी, प्रामाणिकता, पूर्णता, करूण, सेवा, ध्यान, असल में इन बातों का नैतिकता से संबंध होना चाहिए। क्योंकि ये बातें है जो तुम्हारे जीवन को रूपांतरित करती है। ये बातें है जो तुम्हें अस्तित्व के करीब लाती है।
ओशो
आह, दिस