संभोग से समाधि की ओर / ओशो / पृष्ठ 46
हास्य और सेक्स के बीच क्या संबंध है–
इनमें निश्चित संबंध है; संबंध बहुत सामान्य है। सेक्स का चरमोत्कर्ष और हंसी एक ही ढंग से होता है; उनकी प्रक्रिया एक जैसी है। सेक्स के चरमोत्कर्ष में भी तुम तनाव के शिखर तक जाते हो। तुम विस्फोट के करीब और करीब आ रहे हो। और तब शिखर पर अचानक चरम सुख घटता है। तनाव के पास शिखर पर अचानक सब कुछ शिथिल हो जाता है। तनाव के शिखर और शिथिलता के बीच इतना बड़ा विरोध है कि तुम्हें ऐसा लगता है कि तुम शांत, स्थिर सागर में गिर गये—गहन विश्रांति, सधन समर्पण।
यही कारण है कि कभी भी किसी की मृत्यु सेक्स क्रिया के दौरान हार्ट अटेक से नहीं हुई। यह आश्चर्यजनक है। क्योंकि सेक्स क्रिया श्रमसाध्य कार्य है। यह महान योग है। लेकिन कभी कोई नहीं मरा इसका सामान्य सा कारण है कि यह गहन विश्रांति लाता है। सच तो यह है कि कार्डियोलॉजिस्ट और हार्ट स्पेशलिस्ट तो हार्ट के मरीजों को सेक्स औषधि की तरह सिफारिश करने लगे है। सेक्स उनके लिए बहुत मददगार हो सकता है। यह तनाव को विश्रांत करता है। और जब तनाव चला जाता है, तुम्हारा हार्ट अधिक प्राकृतिक ढंग से कार्य करने लगता है।
यही प्रक्रिया हंसी के साथ भी है: यह भी तुम्हारे भीतर का निर्माण करता है। एक निश्चित कहानी और तुम सतत उपेक्षा किये चले जाते हो। कि कुछ होगा। और जब सचमुच कुछ होता है वह इतना अनउपेक्षित होता है कि वह तनाव को मुक्त कर देता है। वह होना तार्किक नहीं है। हंसी के बारे में यह बहुत महत्वपूर्ण बात समझना आवश्यक है। यह होना बहुत मजाकिया होना चाहिए, इसे निश्चित हास्यास्पद होना चाहिये। यदि तुम इसका तार्किक ढंग से निष्कर्ष निकाल सको, तब वहां हंसी नहीं होगी।
एक और अर्थ में हंसी और सेक्स मन में गहरे से जुड़े है। तुम्हारी सेक्स की इंद्री तुम्हारे सेक्स का बाहरी हिस्सा है। असल में सेक्स वही नहीं है। सेक्स दिमाग के किसी केंद्र पर है। इसलिए देर-सबेर मानव इस पुराने तरह के सेक्स से मुक्त हो जायेगा। यह सचमुच हास्यास्पद है। यही कारण है कि लोग सेक्स अंधेरे में, रात के कंबल की ओट में करते है।
यह इतनी बेतुकी क्रिया है कि यदि तुम स्वयं अपने को सेक्स क्रिया में रत देखो, तुम फिर इसके बारे में कभी नहीं सोचोगे। इसलिए लोग छुपाते है। वे अपने दरवाजे बंद कर लेत है। दरवाज़ों पर ताले लगा लेते है। विशेष रूप से वे बच्चों से बहुत डरते है। क्योंकि वे इस हास्यास्पद स्थिति को तत्काल देख लेते हे। तुम क्या कर रहे हो। डैडी आप क्या कर रहे थे? क्या आप पागल हो गये है? और यह पागलपन लगता है। जैसे कि मिरगी का दौरा पडा हो।
सेक्स और हंसी के केंद्र दिमाग में बहुत पास-पास है, इसलिए कभी-कभी वे एक दूसरे को ढाँक सकते है। इसलिए जब तुम सेक्स क्रिया में जाते हो, यदि तुम इसे सचमुच होने दो, स्त्री को गुदगुदी होने लगेगी। यह गुदगुदाता है। क्योंकि केंद्र बहुत पास है। शिष्टता वश वह हंसेगी नहीं, क्योंकि पुरूष को बुरा लग सकता है। लेकिन केंद्र बहुत पास है। और कभी-कभी जब तुम गहरी हंसी में होते हो तो आनंद का वैसा ही विस्फोट होगा जैसा सेक्स में होता है।
वह मात्र सांयोगिक नहीं है। कि कई खूबसूरत चुटकुले सेक्स से जुड़े होते है। केंद्र बहुत नजदीक है…..मैं क्या कर सकता हूं?
ओशो
कम, कम, याट अगेन कम