सलमा करामी / बलराम अग्रवाल
अपने पहले प्यार को केन्द्र में रखकर जिब्रान ने अरबी में एक उपन्यास लिखा है। इतनी गहराई से उक्त क्षणों का अंकन कोई अन्य लेखक नहीं कर पाया। जिब्रान के कुछ जीवनीकारों का मानना है कि बेरूत में अध्ययन के दौरान जिब्रान को एक लेबनानी युवती से प्रेम हो गया था जिसका नाम सलमा करामी (Selma Karameh) था।
जिब्रान की उम्र अठारह वर्ष थी जब प्रेम ने अपनी जादुई छुअन से उनकी आँखें खोलीं और यह चमत्कार करने वाली पहली युवती सलमा करामी थी। यह करिश्मा पढ़ाई के दिनों में तब हुआ जब गर्मी की छुट्टियाँ बिताने के लिए जिब्रान अपने पिता के पास बिशेरी आए थे।
इस प्यार की गहराई का अन्दाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिब्रान ‘मार सरकिस’ मठ को खरीदकर बाकी ज़िन्दगी वहीं बिताने पर आमादा थे क्योंकि सलमा वहीं एक बार उन्हें मिली थी। अनुमान है कि सलमा करामी एक विवहित महिला थी। पहले प्रसव के दौरान उसकी मृत्यु हो गई थी। इस तरह जिब्रान के पहले प्यार का दु:खद अन्त हो गया। ‘द ब्रोकन विंग्स’ में जिब्रान ने सलमा को प्रस्तुत किया है जो एक आध्यात्मिक जीवनी तथा उनकी अपनी प्रेम-कहानी है। अपने प्रथम संस्करण से ही यह अरबी भाषा की सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तक रही है।