हाला अल-दहेर / बलराम अग्रवाल
जिब्रान के आधिकारिक जीवनीकार और पड़ोसी दावा करते हैं कि जिब्रान की पहली प्रेमिका का नाम हाला अल-दहेर (Hala Al-Daher) था और प्रेम की वह कहानी बेरूत में नहीं, बिशेरी में घटित हुई।
जिब्रान गर्मी की छुट्टियाँ बिशेरी जाकर बिताते थे। पिता ने एक बार किसी बात पर उनकी पिटाई कर दी थी इसलिए वह उसी मकान में रुकने के बजाय अपनी एक आंटी के यहाँ रुकना पसंद करते थे।
बिशेरी में ही जिब्रान के एक स्कूल-अध्यापक सलीम अल-दहेर भी रहते थे जो बहुत धनी थे। जिब्रान ने प्रभावित करने के लिए उनके घर जाना शुरू कर दिया। किसी घरेलू कार्यक्रम में सलीम ने जिब्रान को भी वेंकट हाल में बुलाया जहाँ उनकी मुलाकत सलीम की 15 वर्षीया बेटी हाला से हुई। हाला उनके साथ बातचीत से बहुत प्रभावित हुई और अक्सर मिलने लगी।
1899 की छुट्टियों में, जिब्रान जब दोबारा गाँव आए, हाला के भाई इसकंदर अल-दहेर को दोनों के बीच प्रेमालाप का पता चल गया। उसने ‘टैक्स इकट्ठा करने वाले एक ओछे आदमी के बेटे के साथ’ अपनी बहन के मिलने पर पाबंदी लगा दी। लेकिन हाला की बहन सैदी (Saideh) ने गाँव के जंगल में ‘मार सरकिस’ मठ के निकट उनकी मुलाकतें कराने का इंतजाम कर दिया।
स्कूल जाने से पूर्व अपनी अंतिम मुलाकत के समय जिब्रान ने हाला को अपने बालों की एक लट, घूमने की अपनी छड़ी तथा सेंट की एक शीशी दी जिसे उन्होंने अपने आँसुओं से भरा था।
कुछ सप्ताह बाद, जिब्रान ने हाला से उनके साथ भाग चलने का प्रस्ताव रखा जिसे उसने मना कर दिया। हाला ने उनसे कहा — ‘अगर आप पेड़ से कच्चा फल तोड़ते हो तो फल और पेड़ दोनों का नुकसान करते हो। पका हुआ फल खुद ब खुद डाल से टपक जाता है।’
फ्रांसीसी दार्शनिक ला रोश्फूकौड (La Rochefoucaud) ने कहा है कि — ‘आग धीमी हो तो हवा का हल्का-सा झोंका भी उसे बुझा देता है; लेकिन वह अगर तेज हो तो हवा पाकर और तेज़ भड़कती है।’ प्रेम की इस असफलता रूपी आँधी में जिब्रान के अन्तस में विराजमान कलाकार और कथाकार को उस आग-सा ही भड़का डाला।