सुनंदा की डायरी / सुमित की डायरी से-3 / राजकिशोर

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दासता सिर्फ इच्छाओं की नहीं होती, संयम की भी हो सकती है। कौन कह सकता है कि इनमें से किसकी घुटन ज्यादा मारक है?


जीवन जीने का सामान जमा करने में ही हम इतनी उम्र - और उर्जा - गँवा देते हैं कि जब जीवन को जीने की सोचते हैं, तब पाते हैं कि इसकी कोई गुंजाइश ही नहीं रह गई है।


विफलता से मत डरो, वरना कोई काम शुरू ही नहीं कर पाओगे। शानदार विफलताएँ टुच्ची सफलताओं से हमेशा बेहतर होती हैं।


हम हमेशा दूसरों को जानने की कोशिश करते हैं। काश, उसकी आधी कोशिश दूसरों को अनुभव करने के लिए कर पाते।


सत्य को स्वीकार न किया जाए, तो वह मन पर सबसे भारी बोझ बन जाता है ।


जब तुम किस को प्यार करते हो,तो दरअसल अपने को ही प्यार करते हो । तुम अपने को फैलाते हो, ताकि अपने

दामन में ज्यादा से ज्यादां समेट सको ।