सुबह की लाली / खंड 1 / भाग 13 / जीतेन्द्र वर्मा

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिंदू जागरण सभा में भारी भीड़ जुटी। भीड़ देखकर सभी गदगद हैं। आयोजकों को भी इतने भीड़ का अंदाजा नहीं था। सभास्थल छोटा लगने लगा।

जमकर भाषणबाजी हुईं । वक्ताओं ने मुसलमानों के खिलाफ खूब जहर उगला तथा बताया कि भारत के हिंदू राष्ट्र घोषित होते ही सारे समस्याओं का समाधान स्वतः हो जाएगा। उपस्थित जनसमुदाय से अगले चुनाव में हिंदुत्त्व समर्थक पार्टी को वोट देने की प्रतिज्ञा कराई।

सभा समाप्त होते-होते अंधेरा छाने लगा। लोगों को यह जानकारी हुई कि मुसलमानों ने उन्हें कितना सताया है। इसके पहले उन्हें इसका एहसास नहीं था। भीड़ चौराहे के पास से गुजरने लगी।

तभी तेजी से दौड़ता हुआ एक व्यक्ति विपरीत दिशा से आया और घबड़ाए हुए बोला-

“शेख मुहल्ले में मुसलमानों ने सामने से जा रही गाय को मार डाला है।”

बात तेजी से फैली। घर जाते हुए लोग ठहर गए। हाथ भाँजते हुए जोर-जोर से बातें करने लगे ‘गौ माता की हमारे सामने हत्या हो रही है!’

‘हमारा जीना धिक्कार है!’

‘मुसलमानों का मन बढ़ गया है!’

‘भाई अब बर्दाश्त नहीं होता।’ तरह-तरह की बात। जो व्यक्ति खबर लेकर आया है लोग उसे घेरे हुए हैं। शायद यह वही व्यक्ति है जो कभी इस चौराहे पर गाड़ी से किसी रिक्शेवाले को धक्का लगने की खबर देने आया था।

उत्तेजना बढ़ने लगी। चंद क्षणों में ही नजारा बदल गया और शुरू हुआ दुकानों के लूटपाट का सिलसिला।