हरे भरे पर्वतीय सैरगाह / संतोष श्रीवास्तव
प्रकृति ने न केवल सुरम्य तटों की समृद्धि मुम्बई कोदी है बल्कि अरब महासागर के साथ-साथचली गई समुद्र रेखा के सामानांतर पश्चिमी घाट माथेरान, खंडाला, लोनावला, अम्बोली, एम्बीवैली और महाबलेश्वर जैसे हरे भरे पर्वतीय सैरगाह भी हैं जिन्हें मुम्बई वासी हिलस्टेशन कहते हैं।
महाबलेश्वर समुद्र तट से 1380 मीटर की ऊँचाई पर बेहद खूबसूरत हिलस्टेशन है। ऊँची पर्वतीय चोटियाँ, भय पैदा करने वाली घाटियाँ, चटख़ हरियाली, ठण्डी पर्वतीय हवा, झील, हरे भरे घने जंगल और स्ट्रॉबेरी के बगीचों की शोभा देख कुछ पल के लिए मुम्बई की उमस भूल गई थी मैं। ब्रिटिश शासन काल में बॉम्बे प्रेसीडेंसी की यह ग्रीष्मकालीन राजधानी थी। महाबलेश्वर में बेबिंगटन पॉइंट, धूम डैम, पंचगंगा मंदिर जहाँपाँच नदियों का झरना है। ये पाँच नदियाँ हैं कोयना, बैना, सावित्री, गायत्री और कृष्णा नदी। यहाँ स्वयंभू शिवजी का मंदिर जागृत मंदिर माना जाता है। स्ट्रॉबेरी के बगीचे, महाबलेश्वर की ख़ास पीली रंग की मीठी गाजर पर्यटकों की पहली पसंद है। झील में बोटिंग करने से पहले बंदरों के झुंड से मुलाकात मानो एक शगल ही है।
महाबलेश्वर से आगे पंचगनी तो मानो मुम्बई का शांतिनिकेतन ही है। तमाम शिक्षाकेन्द्रों से युक्त है पंचगनी। दूर-दूर से विद्यार्थी यहाँ पढ़ने आते हैं। पंचगनी का अर्थ है पाँच पहाड़ियों से घिरा। यह महाबलेश्वर से 38 मीटर नीचे 1334 मीटर की ऊँचाई पर है। एक ओर कृष्णा नदी, दूसरी ओर तटीय मैदान। पुराने युग की वस्तुओं से सजा यह एक आवासीय पर्वत स्थल है। यहाँ ब्रिटिश कालीन भवनों की वास्तुकला, पारसी घर, बोर्डिंग स्कूल और घर भी हैं जो एक शताब्दी पुराने हैं। उस युग को अगर डूब कर देखना है तो किसी पुराने ब्रिटिश काल के घर या पारसी घरों में पर्यटक की हैसियत से रहना होगा।
मुम्बई के दक्षिण पूर्व में सौ किलोमीटर की दूरी पर खंडाला, लोनावला जैसे सुरम्य स्थल हैं जो खूबसूरत सूर्यास्त और छोटे-छोटे ढेरों जलप्रपातों के लिए प्रसिद्ध हैं। बारिश के मौसम में पर्वतों से निकलते जलप्रपात देखना बहुत मनमोहक लगता है। खंडाला घाट पर अमृतांजन पॉइंट क सबसे बड़ा पर्यटन स्थल है। विशाल हरियाली घाटी के दृश्यों की सुंदरता देखते ही बनती है जिसके आसपास ड्यूक नोज़ मानो घूमती नज़र आती है। खंडाला और लोनावला में मात्र पाँच किलोमीटर का फासला है।
माथेरान महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट में स्थित है। सह्याद्रि पर्वत माला पर बसा यह खूबसूरत पहाड़ी स्थल समुद्र सतह से 803 मीटर की ऊँचाई पर है। माथेरान ठंडा और कम नमी वाला स्थल है जहाँ नाम को प्रदूषण नहीं है। यह मुम्बई से सौ किलोमीटर की दूरी पर है। यह अंग्रेज़ों द्वारा बसाया गया है जहाँ टॉय ट्रेन से जाते हुए तमाम वैलियों से गुज़रना पड़ता है। माथेरान यानी चोटी पर जंगल... माथेरानसाल भर तो हरियाली से घिरा रहता ही है बारिश में यह और अधिक निखर जाता है। माथेरान तक तो अपनी प्राइवेट गाड़ियों से जाया जा सकता है लेकिन अंदर की खूबसूरती बची रहे इसलिए गाड़ियों कोअंदर ले जाने पर प्रतिबंध है। लाल मुरम से बनी सड़कों पर घोड़ा, हाथ रिक्षा या पैदल ही भ्रमण किया जाता है। केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने माथेरान को इको सेंसेटिव इलाका घोषित किया है।
हेमंत (पुत्र) जब पहली बार माथेरान गया था तो उसका एक जूता पानी में बह गया था। उसने दूसरा जूता भी यह कहकर पानी में बहा दिया था कि जिसे पहला मिले उसे दूसरा भी तो मिले ताकि उसके पहनने के काम आए. मेरी कलम अब भीगने लगी है, हेमंतजब दूसरी बार माथेरान फ्रेंडशिप डे मनाने अपने मित्रो के साथ गया था तो जुम्मापट्टी की वैली में गिरकर उसकी कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी और मित्रो सहित वह घर लौटकर फिर कभी नहीं आया।