04 मार्च, 1946 / अमृतलाल नागर

Gadya Kosh से
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सवेरे तमिल शिक्षक आए थे। आँख खुलते ही माता सरस्‍वती की आराधना में लग गया। नरेंद्र और रतन के पत्र मिले। पांडिचेरी से The Life Divine के दो सैट आ गए। एक नरेंद्र के लिए है। दिन में थोड़ी-सी मार्केटिंग की। प्रतिभा के साथ समय बिताया। पत्र लिखे। तमिल भाषा का अध्‍ययन। अभी स्‍वर सीखे हैं - उन्‍हें लिखता रहा। शाम को जप, गीता पाठ। रात को पंतजी की सेवा। अब यह डायरी - फिर सोना। कल से पाँच बजे उठना है। - आज पंतजी ने प्रतिभा का हाथ देखा। अच्‍छा है - 33 वर्ष की आयु के बाद उनके जीवन में परिवर्तन आएगा।