05 मार्च, 1946 / अमृतलाल नागर
Gadya Kosh से
दिन भर क्या किया? तमिल पढ़ी ! लिखी। सोया। वक्त खोया। दोनों वक्त खाना खाया। एक सिगरेट पी। पंतजी की सेवा की। जप। ध्यान-ध्यान कुछ अच्छा जमा। अब सो रहा हूँ। उपन्यास fair करना है। जरूरी काम है। समय का अच्छा उपयोग करना है। कल से नियम बाँधूँगा।