29 जनवरी, 1946 / अमृतलाल नागर

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आज सवेरे श्रीमती शिराली और उनके बच्‍चे आ गए। दोनों बच्‍चे दिन भर रोते हैं। हर पाँच मिनट के बाद रोना शुरू होता है और पाँच मिनट तक चलता है। माँ की लापरवाही इसका कारण है। पंतजी को बहुत कष्‍ट होता होगा। मैं भी शांति नहीं पा रहा। हम कुछ पराए से हो गए हैं। अच्‍छा नहीं लगता। प्रतिभा की भी यही दशा है। आज उदयशंकरजी से बातें हुईं। वे कल प्रोग्राम बनाएँगे। काम जल्‍द खत्‍म हो जाए और हम यहाँ से चल दें।

आज सबेरे कागज लाया। उपन्‍यास fair करना शुरू किया है।

जप और ध्‍यान में चित्‍त एकाग्र नहीं होता। चित्‍त कैसे एकाग्र होता है? इस समस्‍या को सुलझाना ही होगा।