30 जनवरी, 1946 / अमृतलाल नागर

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आज भाड़े पर टैक्‍सी की। नगर घूमे। बापूजी की प्रार्थना में सम्मिलित हुए।

जनता की अव्‍यवस्‍था से बापू को अपार कष्‍ट होता है।

बापू महान हैं, उस कष्‍ट को तभी वह हलाहल की भाँति पीकर पचा जाते हैं।

बापू को शत-शत प्रणाम।

मद्रास भी अच्‍छा है। कौन शहर बुरा है?

भारतीय संस्‍कृति की छाप सब जगह न्‍यूनाधिक एक-सी ही पाई।