कमरा जमाना / कल्पतरु / सुशोभित

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कमरा जमाना
सुशोभित


अपने कमरे को सिलसिलेवार जमा देना, चीज़ों को करीने से सजा देना, तहें दुरुस्त कर देना, श्रेणियां बनाकर वस्तुओं को अलग-अलग ठीक कर देना-- ये एक ज़िम्मेदारी है-- काम की तरह नहीं, प्रार्थना की तरह.

सभी को यह करना होता है- जिनके लिए दूसरे वैसा करने को तैयार हों, उन्हें तो और ज़्यादा.

एक साफ़-सुथरा, करीने से ठीक कमरा एक ऐसे प्रकाश से भर जाता है, जो अस्त-व्यस्त कमरे की अराजकता में कभी नहीं हो सकता था, किंतु वो भी प्रतिफल का ही संतोष है. वह ना हो, तब भी यह आपको करना है.

मन शांत रहता है. एक फ़ाल्स सेंस ऑफ़ परपज़ निर्मित होता है, यह जानते हुए कि एक भयावह अंधड़ मेज़ पर मौजूद सभी काग़ज़ों को तितर-बितर करने वाला है.

इसके बावजूद!

मेरा लगभग पूरा जीवन रूमाल की तहें जमाते, चादर की शिक़नें दुरुस्त करते, चौके और कमरे को बुहारते, सूचियां और फ़ेहरिस्तें बनाते बीत गया है.

अशांति का जाने कितना बड़ा पहाड़ मेरी आत्मा के भीतर होगा!

कुछ भी अपनी जगह पर नहीं है, और सबकुछ को अपनी जगह पर होना चाहिए, यही तो दुःख है!

रोज़ अपना कमरा जमाता हूं, रोज़ मेरी आत्मा में संतोष का एक नन्हा बूटा उग आता है.

जिस दिन मरूंगा, उस दिन अपने होने के किंतु कितने अहाते बुहार सकूंगा?

मैं कितनी चीज़ें अधूरी छोड़कर जाऊंगा? कितनी यात्राएं बीच रास्ते? कितनी बार अभी और आना है?

पहले ही थक रहा!

उस आख़िरी दिन मेरा कमरा दुरुस्त नहीं हो सकेगा, इस पाप के लिए मुझे क्षमा तो कर दोगे ना, मेरे ईश्वर!