कांति कुमार जैन
जन्म | 09 सितम्बर 1932 |
---|---|
निधन | 27 अप्रैल 2021 |
जन्म स्थान | देवरीकलाँ, सागर, मध्य प्रदेश |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
बैकुंठपुर में बचपन, महागुरु मुक्तिबोध : जुम्मा टैंक की सीढ़ियों पर, इक्कीसवीं शताब्दी की हिंदी आदि | |
विविध | |
डॉ कांतिकुमार जैन ने संस्मरण लेखन को एक नई पहचान दी। वे माखनलाल चतुर्वेदी पीठ, मुक्तिबोध पीठ,
और बुन्देली शोध पीठ के अध्यक्ष रहे । उन्होंने ‘छत्तीसगढ़ की जनपदीय शब्दावली’ पर विशेष शोधकार्य किया ।प्रोफेसर जैन की किताबों में छत्तीसगढ़ी बोली का व्याकरण और कोश, भारतेन्दु पूर्व हिन्दी गद्य, कबीरदास, इक्कीसवीं शताब्दी की हिन्दी, छायावाद की मैदानी और पहाड़ी शैलियाँ, शिवकुमार श्रीवास्तव : शब्द और कर्म की सार्थकता, सैयद अमीर अली ‘मीर’, लौटकर आना नहीं होगा, तुम्हारा परसाई, जो कहूँगा सच कहूँगा, बैकुण्ठपुर में बचपन, महागुरु मुक्तिबोध : जुम्मा टैंक की सीढ़ियों पर, पप्पू खवास का कुनबा, लौट जाती है उधर को भी नज़र आदि प्रमुख हैं। उन्होंने बुन्देलखण्ड की संस्कृति पर केन्द्रित ‘ईसुरी’ नामक शोध पत्रिका का संपादन किया। डॉक्टर जैन ने ‘भारतीय लेखक’ के परसाई अंक का ‘परसाई की खोज’ के नाम से अतिथि संपादन भी किया । उन्हें – 2012 में मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन का प्रतिष्ठित भवभूति अलंकरण प्रदान किया गया था। | |
जीवन परिचय | |
कांति कुमार जैन / परिचय |