कृपया दायें चलिए / अमृतलाल नागर / पृष्ठ 12
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विलायत-गमन क्रान्ति
भक्तो ! विलायत-गमन क्रान्ति का वर्णन कर पुराणकार आगे भी बाबू की बहुत-सी लीलाएं बखानेगा। परन्तु भक्तो ! आज की पुराणवाती यहीं पर समाप्त होती है क्योंकि बाबू वक्ता, बाबू श्रोता ठाले की वाहवाह को छोड़कर और पुजापा न चढ़ेगा। सो कलिकाल के पुराणकार जब पेट-पूजा निस्तरेंगे तब आगे की कथा कहेंगे।