खो जाना / कल्पतरु / सुशोभित
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खो जाना
सुशोभित
सुशोभित
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माइकेलेंजेलो अंतोनियोनी की फ़िल्मों में ऐसा होता है कि टेलीफ़ोन की घंटी बजती रहती है, कोई उसे उठाता नहीं...
सूने अपार्टमेंट सांय-सांय करते हैं... जीते-जागते लोग अचानक एक दिन कहीं खो जाते हैं और फिर उनका कोई पता नहीं चलता।
वैनिश्ड इनटु थिन एयर!
यह बहुत ख़ूबसूरत बात है : अधूरी कहानी सुनाकर जी उचट जाना, कहीं गुम हो जाना।
ख़त्म न होना, बस खो जाना।