गोडसे@गांधी.कॉम / सीन 14 / असगर वज़ाहत
(मंच पर अँधेरा। धीरे-धीरे रोशनी आती है।)
उद् घोषणा : 'देश की संसद में विरोधी दल के नेता डॉक्टर राम मनोहर लोहिया ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए ये शंका जताई कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और नाथूराम गोडसे को एक वार्ड में रखना खतरनाक हो सकता है। नेशनल हेराल्ड के संपादक चेलापति राव ने लिखा कि गांधी कुछ ऐसा करने जा रहे हैं जो उनका सत्य के साथ सबसे बड़ा प्रयोग हो सकता है। संसद और अखबारों से होती हुई यह चर्चा देश के मुहल्लों और गलियों में फैल गई। लेकिन वार्ड नंबर पाँच में जीवन अपनी सामान्य गति से चल रहा।'
(मंच पर प्यारेलाल, बावनदास, निर्मला देवी और सुषमा आते हैं। सुषमा काफी कमजोर और बीमार जैसी लग रही है। चेहरे पर उदासी और निराशा है। निर्मला देवी गोडसे को बड़े ध्यान से देखती है। निर्मला देवी दूध का वर्तन गांधी की तरफ बढ़ाते हुए कहती है।)
निर्मला : ले... महात्मा... दूध पी ले...
(निर्मला गोडसे की तरफ देख कर प्यारेलाल से कहती है।)
ये वही है न... जिन्ने महात्मा पै गोल्ली चलाई थी (कोई कुछ नहीं बोलता।) देखण में तो भला चंगा लगै है... काए को मारना चाहता था महात्मा को... वैसेइ देख कितनी जान है इसमें हड्डी का ढाँचा है... (गांधी से) पर महात्मा तू भी निरालाइ है... अपने कातिल के साथ...
गांधी : (सुषमा से)... बहन जी... को ले जाओ... कल से दूघ तुम लाना... दो गिलास लाना...
निर्मला : अरे तेरी तो मति मारी गई है महात्मा... साँप को दूध पिला रहा है...
(सुषमा निर्मला देवी का हाथ पकड़ कर चली जाती है)
गांधी : (प्यारेलाल से) डाक लाए?
प्यारेलाल : आज ठेला नहीं मिल पाया...
गांधी : ठेला?
प्यारेलाल : चार मन चिट्ठियाँ आई हैं आपके नाम...
बावनदास : चार बार में तो हम ले आऊँगा...
गांधी : ठीक है, तुम लोग जाओ।
(बावनदास और प्यारेलाल चले जाते हैं)
गांधी : (गोडसे से) ... क्षमा चाहता हँ... बेपढ़ी-लिखी औरत है, पर दिल की अच्छी है... तुम्हें उल्टा-सीधा बोल गई, इसके लिए क्षमा चाहता हूँ।
गोडसे : नहीं... उसने जो कहा वह सत्य ही कहा है। देश के बहुत से भोलेभाले लोगों को यह नहीं मालूम कि तुम हिंदू विरोधी हो।
गांधी : कैसे गोडसे?
गोडसे : एक-दो नहीं सैकड़ों उदाहरण दिए जा सकते हैं... सबसे बड़ा तो यह है कि तुमने कहा था न कि पाकिस्तान तुम्हारी लाश पर बनेगा... उसके बाद तुमने पाकिस्तान बनाने के लिए अपनी सहमति दे दी।
गांधी : गोडसे... मैंने जो कहा था... वह सत्य है... सावरकर ने कहा था कि वे खून की अंतिम बूँद तक पाकिस्तान के विचार का विरोध करेंगे... लेकिन देखो आज मैं जीवित हूँ... सावरकर के शरीर में पर्याप्त खून है... पर एक बात है गोडसे...।
गोडसे : क्या?
गांधी : मैं पाकिस्तान बनाने का विरोध कर रहा था और करता हूँ... तो ये बात समझ में आती है... पर मुझे समझा दो कि सावरकर पाकिस्तान का विरोध क्यों करते है?
गोडसे : क्या मतलब... मातृभूति के टुकड़े...।
गांधी : (बात काट कर) ... सावरकर तो यह मानते हैं... लिखा है उन्होंने कि मुसलमान और हिंदू दो अलग-अलग राष्ट्रीयताएँ हैं... इस विचार के अंतर्गत तो उन्हें पाकिस्तान का स्वागत करना चाहिए...
गोडसे : यह असंभव है... गुरुजी... पर आरोप है...
गांधी : सावरकर की पुस्तक 'हिंदू राष्ट्र दर्शन'... मैंने पुणे जेल में सुनी थी... कृपलानी ने सुनाई थी देखो... अगर तुम किसी को अपने से बाहर का मानोगे और वो बाहर चला जाता है तो इसमें एतराज कैसा? हाँ, भारत विभाजन का पूरा दुख तो मुझे है क्योंकि मैं इस सिद्धांत को मानता ही नहीं कि हिंदू और मुसलमान दो अलग-अलग राष्ट्र हैं।
गोडसे : अगर तुम पाकिस्तान के इतने ही विरोधी हो तो तुमने 55 करोड़ रुपए दिए जाने के लिए आमरण अनशन क्यों किया था?
गांधी : रघुकुल रीति सदा चलि आई। प्राण जाय पर वचन न जाई। पाकिस्तान-हिंदुस्तान का कोई सवाल ही न था... सवाल था अपने वचन से मुकर जाने का... समझे...
गोडसे : तुमने अपने सिद्धांतों की आड़ में सदा मुसलमानों का तुष्टीकरण किया है।
गांधी : दक्षिण अफ्रीका में मैंने जो किया, क्या वह केवल मुसलमानों के लिए था? चंपारण, अहमदाबाद के आंदोलन क्या केवल मुसलमानों के लिए थे? असहयोग आंदोलन में क्या केवल मुसलमान थे? हरिजन उद्धार और स्वराज का केंद्र क्या मुसलमान थे? हाँ, जब मुसलमान ब्रिटिश साम्रज्यवाद के विरूद्ध खिलाफत आंदोलन में उठ खड़े हुए तो मैंने उनका साथ दिया था... और इस पर मुझे गर्व है।
गोडसे : खिलाफत आंदोलन से प्रेम और अखंड भारत से घृणा यही तुम्हारा जीवन दर्शन रहा है... हिंदू राष्ट्र के प्रति तुम्हारे मन में कोई सहानुभूति नहीं है।
गांधी : हिंदू राष्ट्र क्या है गोडसे?
गोडसे : वो देखो सामने मानचित्र लगा है... अखंड भारत...
(गांधी उठ कर नक्शा देखते हैं।)
गांधी : गोडसे... यही अखंड भारत का नक्शा है?
गोडसे : हाँ... यह हमारा है... भगवा लहराएगा... इस क्षेत्र में...
गांधी : गोडसे... तुम्हारा अखंड भारत तो सम्राट अशोक के साम्राज्य के बराबर भी नहीं है... तुमने अफगानिस्तान को छोड़ दिया है... वे क्षेत्र छोड़ दिए हैं जो आर्यो के मूल स्थान थे... तुमने तो ब्रिटिश इंडिया का नक्शा टाँग रखा है... इसमें न तो कैलाश पर्वत है और न मान सरोवर है...
गोडसे : ठीक कहते हो गांधी... वह सब हमारा है...
गांधी : गोडसे... तुमसे बहुत पहले हमारे पूर्वजों ने कहा था, वसुधैव कुटुंबकम... मतलब सारा संसार एक परिवार है... परिवार... परिवार की मर्यादाओं का ध्यान रखना पड़ता है।