गोडसे@गांधी.कॉम / सीन 15 / असगर वज़ाहत
(मंच पर अँधेरा है। धीरे-धीरे उद् घोषणा के साथ प्रकाश आता है।)
उद् घोषणा : गांधी की व्याकुल आत्मा और पैनी निगाहें जेल के अंदर काम करने की संभावनाएँ तलाश कर लेती हैं। उनका यह मानना था की काम लोगों को जोड़ता है, एकता की भावना पैदा करता है जो मनुष्य जाति की सबसे बड़ी वरदान है।
(मंच पर बड़ी-बड़ी झाड़ू लिए हुए बावनदास आता है। प्यारेलाल अपने हाथों में कुछ पोटलियाँ उठाए हुए उसके पीछे-पीछे आते हैं।)
उद् घोषणा : 'अपने आपको दस तरह के कामों लगाए रखना और अपनी सेना को आराम का समय न देने पर विश्वास करने वाले गांधी के मन में जाने क्या आया कि यह सब लाने का आदेश दे दिया।'
(मंच पर निर्मला और सुषमा आते हैं। उन्हें प्यारेलाल थैला देते हैं। वे थैलों से कपड़ा निकाल कर उसे काटने लगती हैं। निर्मला सिलाई भी करती हैं। गांधी एक हाथ में झाड़ू का डंडा पकड़ कर उसे देखते हैं। गोडसे शुरू से दृश्य में मौजूद है। वह इन सबको कुछ आश्चर्य और उपेक्षा से देख रहा है।) गांधी मंच पर यह जानने के लिए झाड़ू देने लगते हैं, जैसे झाड़ू को टेस्ट कर रहे हों।
गांधी : (प्यारेलाल से) ... फिनैल और चूना भी लाए हो?
प्यारेलाल : सब आ गया है... ऊपर रखा है।
गांधी : लड़की... एक कपड़ा मुझे देना...
(सुषमा गांधी को एक कपड़े की पट्टी देती है। गांधी उसे मुँह पर रख लेते हैं। सुषमा पीछे से बाँध देती है। गांधी इशारा करते हैं कि पट्टी ठीक बनी है। गोडसे यह सब देख रहा है।)
गांधी : (पट्टी सुषमा को देते हुए) ... अच्छी है... बदबू रोकने के काम आएगी... और सिर पर पहनने के लिए टोपी भी बना रही हो न?
सुषमा : हाँ... बापू... बना रहे हैं।
(जेलर मंच पर आता है। वह कुछ गुस्से में है।)
जेलर : महात्मा जी... मैंने सुना है आप जेल के संडास साफ करने जा रहे हैं।
गांधी : हाँ... क्यों? इसमें क्या बुराई है... बल्कि सफाई करना तो अच्छी बात है।
जेलर : जेल साफ रखना मेरी जिम्मेदारी है। आपकी नहीं।
गांधी : देखो... ये जेल देश का है... देश को साफ रखना तो तो पूरे देशवासियों की जिम्मेदारी है।
जेलर : मैं... आपसे बहस नहीं कर सकता।
गांधी : तो क्यों कर रहे हो बहस?
(गोडसे, गांधी और जेलर के पास आ कर खड़ा हो जाता है। लेकिन कुछ नहीं बोलता।)
गांधी : मैंने तो जेल के सभी कैदियों से निवेदन किया है कि वे जेल के संडास की सफाई में मेरी मदद करें।
जेलर : ये सब मुझे मंजूर नहीं है क्योंकि ये सब गैरकानूनी है। जेल मैनुअल में यह नहीं लिखता है कि कैदी संडास की सफाई में लगाए जा सकते हैं।
गांधी : जेल मैनुअल में तो ये भी नहीं लिखा है कि ऐसा नहीं किया जा सकता...
(गोडसे, गांधी और जेलर को ध्यान से देखता रहता है पर बोलता कुछ नहीं।)
जेलर : कैदियों को जमा करना गैरकानूनी है... आप सफाई के नाम पर सैकड़ों कैदियों को जमा करना चाहते हैं जो गैरकानूनी है।
गांधी : अगर तुम्हें डर है तो सिर्फ हम ही लोग... मतलब मैं, प्यारेलाल, बावनदास, निर्मलाजी, सुषमा और नाथूराम गोडसे ही संडास साफ करेंगे...
(सुषमा नाथूराम गोडसे के हाथ में झाड़ू देने की कोशिश करती है लेकिन गोडसे मना कर देता है। वह गांधी और जेलर के पास से हट कर अलग खड़ा हो जाता है।)
गांधी : सबसे पहले हम इस वार्ड से सफाई शुरू करते है... तुम चाहो तो हमें गिरफ्तार कर सकते हो, लेकिन कौन-सी धारा लगाओगे?
(इस बीच गांधी और उनके सभी साथी मुँह पर कपड़ा बाँध का सफाई का काम शुरू कर देते हैं। बावनदास सफाई का गीत गाता है। सभी उसमें शामिल होते हैं। कोरस गाते हैं। पूरे एक्शन के साथ)
साफ करो जी, साफ करो
कूड़ा-करकट, साफ करो
गंदा-मैला, साफ करो
कपड़े-लत्ते, साफ करो
साफ करो जी, साफ करो
मिलजुल कर सब साफ करो
हिंसा-घृणा, साफ करो
लालच-लिप्सा, साफ करो
मन की माया, साफ करो
साफ करो जी, साफ करो
घर-बाहर सब साफ करो
पूरी धरती साफ करो
नदियाँ-नाले, साफ करो
साफ करो जी, साफ करो
(जेलर और गोडसे नाक पर रूमाल रखे दूर खड़े यह देखते हैं।)