जिब्रान के जीवन में महिलाएँ / बलराम अग्रवाल
जिब्रान के जीवनीकार इस बात पर एकमत हैं कि उनके जीवन में अनेक महिलाएँ आईं। उनका नाम अपनी उम्र से अधिक की अनेक महिलाओं के साथ जुड़ता रहा। उनमें उनकी चित्रकार व लेखक साथी, मित्र और प्रशंसक सभी शामिल थीं। उदाहरण के लिए, फ्रेडरिक हॉलैंड डे की गर्लफ्रैंड लुइस गाइनी (Louise Guiney, 1861-1920); अरबी पोशाक में जिब्रान का एक पोर्ट्रेट जार्जिया के सावन्नाह म्यूजियम में लगा है, उसे बनाने वाली आर्टिस्ट लीला कैबट पेरी (Lilla Cabot Perry, 1848-1933); कितने ही कलाकारों को यूरोप भेजने वाली अद्भुत फोटोग्राफर सारा कोट्स सीअर्स (Sarah Choates Sears, 1858-1935); अधिकांश जीवन फ्रांस में बिताने वाली अमेरिकी लेखिका गर्ट्यूड स्टेन (Gertrude Stein,1874-1946); अमेरिकी समाजवादी नाट्य-लेखिका चार्ल टेलर (Charlotte Teller) तथा अन्य अनेका। उनके निकटतम मित्र मिखाइल नियामी (Mikhail Naimy) ने उनकी जीवनी लिखी। पाठकों ने उसका गर्मजोशी से स्वागत नहीं किया क्योंकि उसमें जिब्रान की छवि को सूफी-हृदय के साथ-साथ औरतखोर और शराबखोर बताकर धूमिल किया गया था।
जहाँ तक महिलाओं का संबंध है, माँ कामिला रहामी, बहनों मरियाना व सुलताना के अलावा उनमें उनकी अनेक चित्रकार व लेखक साथी, मित्र और प्रशंसक सभी शामिल थीं। इनमें से कुछ के साथ उनका भावनात्मक और शारीरिक दोनों तरह का रिश्ता रहा हो सकता है लेकिन इसका यह अर्थ कदापि नहीं लगाया जा सकता कि वह ‘औरतखोर’ थे। वस्तुत: तो वह अपने समय में चिंतन, कला और लेखन के उस उच्च शिखर पर थे जिस पर रहते हुए ‘गिरी हुई हरकत’ करने का अर्थ था — अमेरिकी और अरबी — कला व साहित्य के दोनों ही क्षेत्रों में अपनी छवि पर कालिख पोत डालना। ब्रेक्स का कहना है कि ‘जिब्रान बचपन से ही अपनी महिला मित्रों में प्रेमिका के बजाय माँ की छवि तलाशते थे। यह उनकी मनोवैज्ञानिक आवश्यकता थी।’ मेरी हस्कल ने लिखा है — ‘जिब्रान ने कितनी ही बार मुझे खींचकर खुद से सटाया। हमने परस्पर कभी सहवास नहीं किया। सहवास के बिना ही उसने मुझे भरपूर आनन्द और प्रेम से सराबोर किया। उसके स्पर्श में संपूर्णता थी। वह ऐसे चूमता था जैसे अपनी बाँहों में भरकर ईश्वर किसी बच्चे को चूमता है।… वह अपना बना लेने, आत्मा को जीत लेने वाले व्यक्तित्व का स्वामी था। उसमें बच्चों-जैसी सरलता, राजाओं-जैसी भव्यता और लौ-जैसी ऊर्ध्वता थी।’ इसी प्रकार एक और क्षण को याद करते हुए मेरी ने लिखा है: ‘हताशा और उदासी के पलों में एक बार मैं जिब्रान के सामने निर्वस्त्र हो गई। जिब्रान ने भर-निगाह नीचे से ऊपर तक मेरे बदन को निहारा और गहरे विश्वास के साथ कहा — तुम अनुपम सौंदर्य की स्वामिनी हो। उसने बेतहाशा मेरी छातियों को चूमा, लेकिन सहवास नहीं किया। हमारा मानना था कि शारीरिक सहवास संबंधों को दुरूह बना देता है।’
विलियम ब्लेक का कहना था कि ‘सेक्स ऊर्जा का ही एक रूप है।’ जिब्रान ने उस ऊर्जा को बरबाद होने से बचाया और उसके प्रवाह को कविता और कला की ओर मोड़ दिया। इस रहस्य का उद्घाटन स्वयं जिब्रान ने मेरी के सामने किया था।
जिब्रान के जीवन, पेंटिंग्स और लेखन का मनोविश्लेषणात्मक अध्ययन करके 1973 में ‘जिब्रान खलील जिब्रान: फि दिरासा तहलिलिया तरकीबिया’ शीर्षक से अरबी में पुस्तक लिखने वाले प्रो॰ ग़ाज़ी ब्रेक्स ने लिखा कि ‘उन दिनों, जब मिशलीन जिब्रान को छोड़कर चली गई, वे मनोवैज्ञानिक रूप से बहुत आहत हुए। उन्होंने इस बारे में मेरी को पत्र लिखा कि इस ‘प्यास’ को मैं ‘सिर्फ काम, काम, काम’ में खुद को डुबोए रखकर बुझा रहा हूँ।
यहाँ उनके जीवन, कला और लेखन को प्रभावित करने वाली, उन्हें सकारात्मक दिशा देने में मदद करती रहने वाली तथा उनकी जीवनधारा को औपचारिक-अनौपचारिक रूप से प्रभावित करने वाली उनकी कुछ महिला-मित्रों, प्रशंसको, सहयोगियों का संक्षिप्त उल्लेख किया जा रहा है: