नोत्रदाम की आगज़नी / बावरा बटोही / सुशोभित

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नोत्रदाम की आगज़नी
सुशोभित


यूरोपियनों-- विशेषकर फ्रांसीसियों और इतालवियों-- के लिए आर्किटेक्चर कोई भौतिक और विलग परिघटना नहीं होती, वो उनके आभ्यंतर का एक रूप होता है. उनकी अंतश्चेतना की एक गति. विक्तोर ह्यूगो ने इसे 'थॉट्स रिटन इन स्टोन्स' कहा था. उसी विक्तोर ह्यूगो ने फिर 'द हन्चबैक ऑफ़ नोत्रदाम' की कहानी सुनाई. और तब, बीती शाम पेरिस ने नोत्रदाम को धू-धू जलते देखा, आँखों में कड़वा धुंआ लिए. दुःस्वप्न का स्थापत्य भला और क्या होगा!

क्या पेरिस की किसी ऐसी स्काईलाइन की कल्पना भी की जा सकती है, जिसमें नोत्रदाम की सुघड़ रेखाएं ना हों? सच मानिये, आइफ़ेल की मीनार कुछ नहीं है! जब वो बनाई गई थी तो इस्पात के इस भीमकाय आधुनिक कंकाल को फ्रांसीसियों ने अपने सौंदर्यबोध पर एक प्रहार माना था. आर्च दे त्रायम्फ़, वरसाय का महल, मोन्मात्र, लूव्र की इमारत-- ये सब भले हैं, किंतु पेरिस का अंतर्भाव तो नोत्रदाम ही रहा, जिसकी छतों पर अब कालिमा!

गोथिक शिल्प का आर्किटाइप! एक बानगी, एक मिसाल, और कलात्मक उन्मेष का संग्रहालय. शताधिक भुजाओं वाला ऑर्गन, अमूल्य चित्रकृतियाँ, देव प्रतिमाएँ, और सदियों पुराने रोज़ ग्लास के झरोके! वेर्नर हरज़ोग की फ़िल्म में रूबी ग्लास बनाने की तकनीक भूल चुका एक बवेरियाई क़स्बा विक्षिप्तता की ओर अग्रसर हो जाता है. पेरिस के अख़बारों ने आज सुबह अपने नफ़ीस फ्रांसीसी उच्चार के साथ जब यह बतलाया कि नोत्रदाम के रोज़ ग्लास के झरोके पिघल चुके हैं तो इस महान शहर ने कैसे रूंधे गले से आत्मनाशी उन्माद का ताप झेला होगा!

नोत्रदाम की आठ सौ साल पुरानी बुर्ज़ ढह गई है. पेरिस के क्षितिज की एक भुजा नष्ट हो गई. सीन नदी में अब उसका प्रतिबिम्ब नहीं बनेगा. निर्मल वर्मा ने पांच दशक पहले पेरिस में कहा था-- वो लड़की नोत्रदाम को चित्रित कर रही है, मुझे विश्वास नहीं होता हज़ार बार बनाए जा चुके चित्र को वो फिर दोहराना चाहती है. तो सुनो निर्मल, अब वो चित्र उस तरह से फिर नहीं बन सकेगा! नोत्रदाम की आगज़नी एक वैश्विक त्रासदी है!