प्रणयिनी / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल / पृष्ठ 3
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2 ‘उर्वशी-पुरूरवा’ ‘उर्वशी-पुरूरवा’एकांकी में उर्वशी का द्वष्टिकोण दार्शनिक और यथार्थ वादी है।
गद्य पंक्तियां द्वष्ट्रव्य हैं-
उर्वशी- बहिन , प्रेम और मृत्यु, भाई बहिन हैं मृत्यु के प्याले में ही रखकर प्रेम की सुधा का स्वाद ज्ञात होता है। मै तो किसी मर्त्य से प्रीति करने को उत्सुक हूं। देवताओं से मेरा जी भर गया।
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