प्रेम ओर विवाह / ओशो

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प्रेम ओर विवाह
प्रेम ओर विवाह

प्रेम का जन्‍म होता है स्‍वतंत्रता में

प्रेम के अतिरिक्‍त आदमी कभी स्‍वस्‍थ नहीं हो सकता

परमात्‍मा ने जिसको जीवन की शुरूआत बनाया वह पाप नहीं हो सकता

प्रेम से रहित मनुष्‍य मात्र एक दुर्घटना है